असल हाल का सूचक

भारत में गरीब और मध्य वर्ग तो मुसीबत में हैं, ये बात तमाम आर्थिक आंकड़ों से जाहिर होती है

Update: 2021-09-12 17:03 GMT

क्या भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' योजना और उसके ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के दावों के लिए यह बड़ा झटका नहीं है? मगर इससे सरकार का नैरेटिव गढ़ने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वे 'वी शेप' रिकवरी के दावे करते रहेंगे। लेकिन भारत के बाजार का असर हाल क्या है, यह फोर्ड कंपनी ने बताया है। automobile company ford motor

भारत में गरीब और मध्य वर्ग तो मुसीबत में हैं, ये बात तमाम आर्थिक आंकड़ों से जाहिर होती है। लेकिन जिस उच्च मध्य वर्ग और धनी वर्ग से उम्मीद थी कि वह देश की आर्थिक चमक को बरकरार रखेगा, वह भी कहीं नाकाम होता दिख रहा है। वरना, और क्या वजह हो सकती है कि महंगी कारें और मोटर साइकिल बनाने वाली कंपनियां भारत में अपना कारोबार समेटने को मजबूर हो जाएं। नई खबर यह है कि अमेरिकी कंपनी फोर्ड अब भारत में कारें नहीं बनाएगी। इससे पहले दो और कंपनियां ऐसा ही कर चुकी हैं। पिछले साल हार्ली डेविडसन ने ऐसा ही फैसला किया था। 2017 में जनरल मोटर्स ने भारत छोड़ दिया था। क्या भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' योजना के लिए यह बड़ा झटका नहीं है? मगर इससे सरकार का नैरेटिव गढ़ने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वे वी शेप रिकवरी के दावे करते रहेंगे। लेकिन भारत के बाजार का असर हाल क्या है, यह फोर्ड कंपनी ने बताया है।
फोर्ड ने कहा है कि पिछले 10 साल में उसे दो अरब डॉलर से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। 2019 में उसकी 80 करोड़ डॉलर की संपत्ति बेकार हुई। कंपनी ने कहा- "हम लंबी अवधि में मुनाफा कमाने के लिए एक स्थिर रास्ता खोजने में नाकाम रहे।" तो अब फोर्ड ने भारत में बिक्री के लिए वाहन बनाना फौरन बंद कर दिया है। उसकी फैक्टरी पश्चिमी गुजरात में है, जहां निर्यात के लिए कारें बनाई जाती हैं। फैक्टरी का कामकाज साल के आखिर तक बंद कर दिया जाएगा। फोर्ड की इंजन बनाने वाली और कारों को असेंबल करने वाली फैक्ट्रियां चेन्नई में हैं, जिन्हें अगले साल की दूसरी तिमाही तक बंद कर दिया जाएगा। इस कारण करीब चार हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। अगर गहराई से गौर करें, तो ये घटनाक्रम सिर्फ भारत के घरेलू बाजार ही नहीं, बल्कि यहां ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के बारे में किए जाने वाले दावों की भी पोल खोलता है। तमाम विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि फोर्ड का जाना कार निर्माण क्षेत्र के लिए बड़ा झटका है। भारत में कार बनाकर अमेरिका निर्यात करने वाली यह एकमात्र कंपनी थी। 2019 में फोर्ड ने अपनी भारतीय हिस्सेदारी के लिए महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ समझौता कर लिया था। लेकिन यह भी उसके काम नहीं आया। automobile company ford मोटर
क्रेडिट बाय नया इंडिया 
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