भारत में धर्मस्थलों और तीर्थों के विकास की किसी भी पहल की प्रशंसा होनी ही चाहिए। काशी में विश्वनाथ धाम का जो विकास हुआ है, उसके लिए भगवान शिव की नगरी काशी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरा श्रेय दिया जाना चाहिए। धीरे-धीरे अतिक्रमण और व्यावसायिक दबाव की वजह से जिस तरह से विश्वनाथ धाम की उपेक्षा बढ़ती जा रही थी, जैसे-जैसे वहां पहुंचने की गलियां संकरी होती जा रही थीं, वैसे-वैसे काशी का आकर्षण भी कहीं न कहीं प्रभावित हो रहा था। धाम की ओर जाने वाली गलियों का चौड़ीकरण नामुमकिन लगता था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यहां से सांसद बनने से यह काम आसान हुआ। उन्होंने बिल्कुल सही कहा है कि यदि सोच लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं है। प्रधानमंत्री की इस परियोजना के मार्ग में कतई कम अड़चनें नहीं थीं, दुकानों, लोगों को विस्थापित किया गया, दृढ़ता के साथ कुछ धर्मस्थल भी हटाए गए, चंद लोग तो आज भी राजनीतिक कारणों से विरोध जता रहे हैं, लेकिन एक भव्य मंदिर परिसर के रूप में परिणाम दुनिया के सामने है। काशी विश्वनाथ के परिसर में श्रद्धालुओं के लिए बहुत बड़ी जगह निकल आई है, जिससे इस धाम के आकर्षण में चार चांद लगना तय है।
काशी से प्रधानमंत्री ने जो संदेश दिया है, उसे केवल चुनावी नफा-नुकसान के नजरिये से नहीं देखना चाहिए। प्रधानमंत्री का यह कहना खास मायने रखता है कि सदियों की गुलामी के चलते भारत को जिस हीन भावना से भर दिया गया था, आज का भारत उससे बाहर निकल रहा है। वाकई यहां अब कोई संदेह शेष नहीं है कि यह सरकार देश व समाज को बदल रही है। प्रधानमंत्री अपने आलोचकों को खूब जानते हैं, अत: उन्होंने उचित ही कहा है कि आज का भारत सिर्फ सोमनाथ के मंदिर का सौंदर्यीकरण ही नहीं कर रहा, समुंदर में हजारों किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर भी बिछा रहा है। आज का भारत सिर्फ बाबा केदारनाथ धाम का जीर्णोद्धार ही नहीं कर रहा, आज का भारत सिर्फ अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर ही नहीं बना रहा, हर जिले में मेडिकल कॉलेज भी बना रहा है। आज का भारत सिर्फ बाबा विश्वनाथ धाम को भव्य रूप ही नहीं दे रहा है, गरीबों को पक्के मकान भी बनाकर दे रहा है।
मतलब एक ही साथ विरासत और विकास की चिंता है। हिंदुत्व की चिंता है, तो विकास की भी पूरी फिक्र है। प्रधानमंत्री ने काशी से पूरा लेखा-जोखा दिया है कि कैसे धर्मक्षेत्रों और नगरों में सुधार के लिए काम हो रहे हैं। कुल मिलाकर, पूरे देश में गौरवशाली धार्मिक प्रतीकों का पुनरोद्धार ऐसे किया जा रहा है, जैसे पहले कभी नहीं किया गया था। इन सुधारों से न केवल आध्यात्मिक, बल्कि सामाजिक और आर्थिक लाभ के भी रास्ते खुल सकते हैं। हालांकि, भारत में अब भी अनेक तीर्थ ऐसे हैं, जो गंदगी का अड्डा बने हुए हैं। जहां खाद्य में मिलावट, ठगी, छीनाझपटी, चोरी की घटनाएं खूब होती हैं। नैना देवी का हादसा हो या जोधपुर की चामुंडा माता मंदिर के पास का हादसा, संकरी गलियों में भगदड़ कितनी जानलेवा साबित हुई है, यह अलग से बताने की जरूरत नहीं है। देश में बढ़ती आबादी और जीविका की तलाश में कोने-कोने में बाजार सजाने-लगाने की परिपाटी दुखद है। अब काशी में अगर सुधार का दीपक जल उठा है, तो उसकी रोशनी तमाम तीर्थों में भी सुधार के प्रति समर्पण बढ़ाएगी।
हिंदुस्तान