केरल में कोरोना का कहर, वोट बैंक की राजनीति पड़ रही भारी, तीसरी लहर का अंदेशा

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच केरल में कोरोना के बढ़ते मामले गंभीर चिंता का विषय हैं।

Update: 2021-07-30 12:10 GMT

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क| तिलकराज | कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच केरल में कोरोना के बढ़ते मामले गंभीर चिंता का विषय हैं। हालांकि वहां के हालात से चिंतित केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की एक टीम भेजी है, लेकिन कहना कठिन है कि राज्य सरकार उसके सुझावों के हिसाब से जरूरी कदम उठाती है या नहीं? वैसे संक्रमण के मामलों में यकायक तेजी आते देख केरल सरकार दो दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लगाने जा रही है, लेकिन इसमें संदेह है कि इतने मात्र से संक्रमण थम जाएगा।

बकरीद पर लॉकडाउन में छूट पड़ी भारी

यह साफ है कि संक्रमण के मामले में केरल इसीलिए मुश्किलों से घिर गया है, क्योंकि उसने बकरीद के अवसर पर लॉकडाउन में तीन दिनों के लिए छूट दे दी। यह छूट यह जानते हुए भी दी गई कि इससे संक्रमण बेलगाम हो सकता है। चूंकि केरल सरकार पर वोट बैंक को संतुष्ट करने का भूत सवार था, इसलिए उसने उन आपत्तियों पर जानबूझकर ध्यान नहीं दिया, जो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और अन्य अनेक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से व्यक्त की गई थीं। एक गड़बड़ी यह भी हुई कि सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल मामले का संज्ञान लेने और फैसला देने में देर कर दी। उसकी आपत्ति तब सामने आई, जब बकरीद पर दुकानें खोलने और खरीदारी करने की छूट का आखिरी दिन था।

देश में तीसरी लहर की आशंका को उभारने का काम

सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार के फैसले पर नाराज होते हुए कहा था कि यदि संक्रमण बढ़ा तो वह कार्रवाई करेगा। सवाल है कि क्या वह ऐसा करेगा? सुप्रीम कोर्ट कुछ भी करे, केरल सरकार को यह आभास होना चाहिए कि उसने अपने गैर जरूरी फैसले से राज्य की जनता को तो खतरे में डाला ही, देश में तीसरी लहर की आशंका को उभारने का भी काम किया। केरल में जिस तेजी से संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उससे यह अंदेशा गहरा गया है कि तीसरी लहर की शुरुआत वहीं से हो सकती है।

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