सुविधा का टीका

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की एक सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि किसी आम या जटिल बीमारी के पता चलने के बाद उसके इलाज के तमाम उपायों को लेकर खोज, परीक्षण, जांच और प्रयोग के विभिन्न स्तरों पर काम शुरू कर दिया जाता है।

Update: 2022-09-08 04:34 GMT

Written by जनसत्ता; आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की एक सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि किसी आम या जटिल बीमारी के पता चलने के बाद उसके इलाज के तमाम उपायों को लेकर खोज, परीक्षण, जांच और प्रयोग के विभिन्न स्तरों पर काम शुरू कर दिया जाता है। अलग-अलग चरणों में कई स्तरों से गुजरने के बाद कोई दवा या टीका सामने आता है और वह लोगों का जीवन बचाने के काम आता है।

यही वजह है कि आज कोई बीमारी होने के बाद लोगों के भीतर फिर से स्वस्थ होने और जीने की उम्मीद कमजोर नहीं होती है। इसका इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा कि पिछले करीब तीन साल के दौरान कोरोना विषाणु के संक्रमण की वजह से दुनिया भर में खौफ बना रहा, मगर इस बीच आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की ओर से यह भरोसा दिया गया कि इसका इलाज और इससे बचाव के इंतजाम जल्दी ही सबके सामने होंगे।

कोरोना विषाणु के संक्रमण और उसके बाद के खतरों का सामना करने के क्रम में विश्व भर में अलग-अलग कंपनियों ने टीके तैयार किए। इस तरह जो रोग लोगों के लिए जानलेवा और खौफ की वजह बन रहा था, वह अब इस हालत में है कि उससे बचाव के लिए लोग टीके को सबसे अहम उपाय मानते हैं।

इसके बावजूद हालत यह है कि कई लोग आज भी टीका लेने को लेकर अपने भीतर एक बेमानी हिचक रखते हैं। इसके कई अलग-अलग कारणों के अलावा एक मुख्य वजह यह भी रही है कि कुछ लोग अपने शरीर में इंजेक्शन या सूई लेने से डरते हैं। ऐसे लोगों की तादाद अच्छी-खासी है। हालांकि एक मामूली चुभन के अलावा टीके से कोई खास पीड़ा नहीं होती। इसके बाद यह सुरक्षा ही देता है।

मगर जब कोई आग्रह या धारणा लोगों को मन में बैठ जाती है तो उससे निपटना इतना आसान नहीं होता। शायद यही वजह है कि टीका बनाने वाली कंपनियों ने इस मसले पर काम जारी रखा और चुभो कर सूई के जरिए टीका देने के बजाय नाक के रास्ते टीकाकरण का उपाय सामने आया। पिछले महीने भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने यह दावा भी किया कि नाक के जरिए दिया जाने वाला कोविड-19 टीका 'बीबीआइ 154' तीसरे चरण के नियंत्रित क्लीनिकल परीक्षण में सुरक्षित, बेहतर तरीके सहन करने योग्य और प्रतिरक्षाजनक साबित हुआ है। अब भारत के औषधि महानियंत्रक ने मंगलवार को भारत बायोटेक की ओर तैयार की गई 'इंट्रानेजल' कोविड टीके का अठारह साल से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों के लिए सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी भी दे दी है।

जाहिर है, अब कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए देश को एक और हथियार मिल गया है। हालांकि इसके पहले भारी तादाद में लोगों ने टीके की दोनों खुराक ली और अब एहतियाती खुराक भी दी जा रही है। लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जो टीका लेने से डरते हैं या फिर इसके प्रति लापरवाही बरतते हैं। कई बार ऐसा लगता है कि लोगों ने कोरोना को अब खत्म हुआ मान कर बचाव के उपायों को लेकर गंभीर होना छोड़ दिया है।

हकीकत यह है कि टीके की वजह से इस महामारी को काबू में लाने में दुनिया को बड़ी मदद मिली है। फिर भी अभी कोरोना के पूरी तरह खत्म होने का दावा नहीं किया जा सकता है। आज भी देश में हजारों लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं और इसकी वजह से लोगों के जीवन पर खतरा बना हुआ है। ऐसे में नाक के जरिए दिए जाने वाले टीके को मंजूरी मिलना आम लोगों की जिंदगी बचाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि इंजेक्शन से डरने या हिचकने वाले लोग नाक के जरिए टीका लेने को लेकर सहज हो सकेंगे।


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