आओ झुककर सलाम करें

भारत के पहले चीफ ऑफ डिफैंस और पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत भारत के लिए काफी दुखदाई है। समूचा देश स्तब्ध है कि पलभर में ऐसा क्या हुआ जिसने देश के योद्धाओं की जान ले ली।

Update: 2021-12-10 02:15 GMT

भारत के पहले चीफ ऑफ डिफैंस और पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत भारत के लिए काफी दुखदाई है। समूचा देश स्तब्ध है कि पलभर में ऐसा क्या हुआ जिसने देश के योद्धाओं की जान ले ली। जनरल बिपिन रावत को 31 दिसम्बर 2019 को भारत का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया था। बतौर सीडीएस जनरल रावत की जिम्मेदारियों में भारतीय सेना के विभिन्न अंगों में समन्वय और सैन्य आधुनिकीकरण जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां शामिल थीं। देहरादून की इंडियन मिलिट्री अकादमी से ट्रेनिंग लेने के बाद वे 11वीं गोरखा राइफल्स टुकड़ी की पांचवीं बटालियन में सैकेंड लेफ्टिनेंट बनाए गए। गोरखा ​ब्रिगेड में सेना के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले वह चौथे अफसर थे। उत्तर पूर्व में चरमपंथ में कमी के​ ​लिए उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। 2015 में म्यांमार में घुसकर भारतीय सेना की कार्रवाई के लिए भी उनकी सर्वत्र सराहना हुई थी और 2018 में बालाकोट हमले में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने भारत के पूर्व में चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तैनात एक इंफैंट्री बटालियन के अलावा कश्मीर घाटी में एक राष्ट्रीय राइफल्स सैक्टर की कमान सम्भाली थी। उनके युद्ध कौशल का कोई सानी नहीं रहा। मिलिट्री स्ट्रेटजिक स्टडीज में उनके शोध के लिए उन्हें डाक्टर ऑफ फिलासफी से भी सम्मानित किया गया था। चार दशक से लम्बे सैन्य जीवन में जनरल रावत को सेना में बहादुरी और योगदान के लिए परम विशिष्ट सेना मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति ​विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेना मेडल के अलावा कई प्रशस्तियों से सम्मानित ​किया गया था। हेलीकाप्टर क्रेश में उनके साथ हमेशा के लिए मौत की आगोश में सोये अफसर भी काफी अनुभवी थे।वायुसेना के हेलीकाप्टर ने वेलिंगटन के लिए उड़ान भरी थी लेकिन हेलीकाप्टर बीच रास्ते में रहस्यमय ढंग से ध्वस्त हो गया। हादसा स्थल पर हेलीकाप्टर का ब्लैक बाक्स मिल चुका है। दुर्घटना के कारणों का पता तो जांच-पड़ताल के बाद ही चलेगा लेकिन कुछ सवाल जरूर उठ खड़े हुए हैं। पहला सवाल तो यह है​ ​कि एमआई शृंखला का हेलीकाप्टर आखिर क्रेश कैसे हुआ। इसमें दो इंजन लगे होते हैं, एक इंजक के खराब होने से दूसरा इंजन आटोमेटिकली चालू हो जाता है। यह खराब मौसम, बर्फबारी आदि में भी यह हेलीकाप्टर उड़ान भर सकता है। पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक में भी सेना ने इन्हीं हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल किया था। यह सवाल जरूर उठ रहा है कि एक इतने महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति का हेलीकाप्टर इतना असुरक्षित कैसे हो गया। क्या उड़ान भरने से पहले हेलीकाप्टर की जांच की गई या नहीं। क्या हेलीकाप्टर दुर्घटना मानवीय चूक का परिणाम है या तकनीकी गड़बड़ी का परिणाम? अति​वशिष्ट

संपादकीय :किसान आन्दोलन की समाप्तिसंसद की गरिमाराज्यसभा का गतिरोध खत्म होअयोध्या से लौटे बुजुर्ग बोले - मोदी जी और केजरीवाल को आशीर्वादसू की को सजाभारत-रूस की अटूट दोस्ती लोगों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले​ विमानों और हेलीकाप्टरों को तकनीकी और सुरक्षा मानकों पर पूरी सावधानी के साथ जांचा परखा जाता है।एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने बयान दिया है कि यह हादसा नहीं साजिश है। उन्होंने तो एलटीटीई के स्लीपर सेल को इसके लिए जिम्मेदार भी मान लिया है। अगर यह साजिश है तो देश के लिए गम्भीर चिंता का विषय है। जनरल रावत के अंडर भारतीय सेना की तमाम रणनीतिक योजनाएं थीं और पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवादों सहित रक्षा परियोजनाओं की रूपरेखा भी वही तैयार करते थे। रक्षा खरीदारी से लेकर सेना को आधुनिक बनाने के काम में वे तन्मयता से जुटे हुए थे। ऐसे में साजिश के एंगल की किसी सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। यह हादसा एक ऐसा हादसा है जिसकी गूंज हमें काफी अर्से तक सुनाई देती रहेगी। ऐसे हादसों से हमें सबक लेने की जरूरत है। यद्यपि यह कोई पहला हेलीकाप्टर हादसा नहीं है। पहले भी कई राजनीतिज्ञ और अन्य लोग हादसों का शिकार हुए हैं। हमने राजनेता से लेकर मुख्यमंत्री तक खोये हैं लेकिन सेना के किसी बड़े अधिकारियों का हेलीकाप्टर इस तरह के हादसे का ​शिकार नहीं हुआ। एक सैन्य अधिकारी हो या जवान उनका जीवन हमारे लिए बहुमूल्य है। अनुभवी सैन्य अफसरों का जीवन बहुत अनमोल है। भारत एक तरफ पाकिस्तान दूसरी तरफ चीन से सीमा पर तनाव का सामना कर रहा है। चीन से भारत को सीधी चुनौती ​मिल रही है तो पाकिस्तान से प्रत्यक्ष और परोक्ष आतंकवाद झेलना पड़ रहा है। ऐसी परिस्थितियों में सेना की सक्रियता पहले से ही कहीं अधिक बढ़ी है। हमें इस बात की परख करनी चाहिए कि क्या एमवाई हेलीकाप्टर सेना के लिए मुफीद है? एमवाई हेलीकाप्टर छह से अधिक बार परेशानी का कारण बन चुके हैं। आज ​बिपिन रावत का पैतृक गांव सैण (उत्तराखंड) ही नहीं पूरा राष्ट्र गमगीन है। हादसे के बाद हर आंख में पानी है। हेलीकाप्टर दुर्घटना का ​शिकार हुए सभी योद्धाओं को पंजाब केसरी सलाम करता है। परम पिता परमात्मा मृतकों के परिजनों को दुख झेलने का साहस और शक्ति प्रदान करें। ''आओ झुककर उन्हें सलाम करें, ​जिनके हिस्से में ये मुकाम आया।खुशनसीब होते हैं वह सैै​निक, ​जिनका खून देश के काम आया।


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