चीन को बदलना होगा
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कथित अमेरिकी गतिविधियों के खिलाफ चीन ने जो चेतावनी दी है, उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। चीन ने कहा है कि अगर अमेरिकी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगा तो उसके गंभीर दुष्परिणाम होंगे और पूरा हिंद-प्रशांत क्षेत्र नर्क के कगार पर आ जाएगा।
नवभारत टाइम्स: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कथित अमेरिकी गतिविधियों के खिलाफ चीन ने जो चेतावनी दी है, उसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। चीन ने कहा है कि अगर अमेरिकी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगा तो उसके गंभीर दुष्परिणाम होंगे और पूरा हिंद-प्रशांत क्षेत्र नर्क के कगार पर आ जाएगा। यह चेतावनी चीन के उप-विदेश मंत्री ले युचेंग ने दी है। वही यूचेंग, जिन्हें विदेश मंत्री वांग यी का संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा है। दूसरे, उनका यह बयान 20 देशों के थिंक टैंक्स के साथ ऑनलाइन डायलॉग के दौरान सामने आया। यानी इस बयान के जरिये चीन ने पूरी दुनिया को संदेश देने की कोशिश की है। तीसरे, उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग की 'ग्लोबल सिक्यॉरिटी इनीशिएटिव' की अवधारणा का संदर्भ लेते हुए अपनी बात रखी। इसलिए इसे चिन फिंग सरकार का रुख माना जाना चाहिए। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता पर अमेरिका के नेतृत्व में अंकुश लगाने की इधर कोशिशें तेज हुई हैं। चीन इन कोशिशों के विरुद्ध आवाज उठाता रहा है। खासकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के क्वाड के रूप में एक साथ आने पर वह यह कहते हुए आपत्ति करता रहा है कि इस तरह से किसी एक देश के खिलाफ गुट बनाना शीतयुद्ध वाली मानसिकता है। चीन ने तो क्वाड को एशियाई नैटो तक कहा है।
इधर, यूक्रेन युद्ध को लेकर जिस तरह से अमेरिका और यूरोपीय देश गोलबंद हुए हैं, चीन उससे आशंकित है। ताइवान और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर चीन का जो रवैया रहा है, उससे आगे चलकर अमेरिका और सहयोगी देशों के साथ उसका टकराव हो सकता है। चीन को लगता है कि तब अमेरिका और यूरोपीय देशों की यह गोलबंदी उसके खिलाफ खड़ी हो सकती है। यही वजह है कि वह और आक्रामक हो रहा है। गौर करने की बात है कि ले युचेंग ने नैटो की बात करते हुए अमेरिका और यूरोपीय देशों पर टकराव को हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक ले आने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि चीन इस इलाके में गुट आधारित टकराव की स्थिति नहीं पैदा होने देगा। इसी क्रम में चीन ने रूस के साथ हुए मैत्री समझौते के शब्दों -असीमित सहयोग- को लेकर स्पष्टीकरण भी दिया। चीन का कहना है कि न तो उसे यूक्रेन युद्ध की पहले से खबर थी और न ही वह रूस के फैसले के लिए किसी भी रूप में जिम्मेदार है। जाहिर है कि आक्रामक तेवर अपनाते हुए भी चीन हमेशा की तरह विश्व मंच पर खुद को पीड़ित दिखाने की कोशिश कर रहा है। उसे समझना होगा कि यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अगर दुनिया में उसके संभावित व्यवहार को लेकर चिंता बढ़ी है तो उसका कारण अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को लेकर उसके संवेदनहीन रवैये में छुपा है। सच तो यह है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और सहयोग का माहौल बनाए रखने के लिए चीन को बदलना होगा।