नापाक इरादे भी बेनकाब हुए हैं, लेकिन साजि़श के कुछ कोने अब भी अनचिह्ने हैं। विस्फोटकों की सप्लाई कई जगह हुई होगी। आईईडी की जानकारी भी उपलब्ध कराई जा चुकी होगी। जो 16 चेहरे अभी तक गिरफ्त से बाहर हैं, वे अनचाही वारदात को अंजाम भी दे सकते हैं। दरअसल इस साजि़श से यह तथ्य भी उभरा है कि आतंकवाद का चेहरा, चरित्र और उसकी चाल भी बदल चुके हैं। अब आतंकी सीमा-पार से घुसपैठ की खतरनाक कोशिश ही नहीं करते, बल्कि मस्कट के जरिए पाकिस्तान तक की यात्रा भी कर लेते हैं और आतंकवाद की टे्रनिंग लेकर उप्र में लौट भी आते हैं। उनकी सामान्य पहचान कैसे संभव है? मौजूदा आतंकी साजि़श में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का भी जि़क्र हुआ है। उसके भाई अनीस को हथियारों की सप्लाई और फंडिंग का दायित्व सौंपा गया था। पकड़े गए आतंकियों में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जो कई सालों से डॉन के संपर्क में थे और साजि़शें रच रहे थे। हमारे देश मंे हवाला कारोबार के जरिए अवैध धन आता रहा है। कुछ बाज़ारों में तो यह खुलेआम है, जाहिर है कि सरकार की जानकारी में भी होगा! हवाला पैसे की आपूर्ति और उसके पीछे की साजि़श को रोकना कैसे संभव होगा?
नई तकनीक और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के दौर में आतंकी हमले भी उन्हीं के जरिए किए जा रहे हैं। आईईडी बनाने की नई तकनीकें आ गई हैं। ड्रोन के जरिए हमले भी नई प्रौद्योगिकी के कारण संभव हो रहे हैं। फिर भारत उनसे अछूता कैसे रह सकता है। उसके पलटवार के तरीके भी इस्तेमाल करने होंगे। हमारी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां चौकस हैं, लिहाजा कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं किया जा सका है, लेकिन खौफनाक साजि़शें मंडरा तो रही हैं। संभव है कि पाकिस्तान में जिन चेहरों को 15 दिन की टे्रनिंग फौजी अफसरों ने दी थी, उनमें नई तकनीक के तरीके भी बताए गए हों! परंपरागत बंदूक, राइफल, रॉकेट, ग्रेनेड आदि के अलावा भी हमलों की प्रविधियां सिखाई गई हों! बहरहाल अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत के बाद आतंकी हरकतें और साजि़शें बढ़ने के आकलन दुनिया की बड़ी ताकतों ने किए थे। आत्मघाती फिदायीन के दस्ते बनाने की ख़बर सामने आई है। फिलहाल वह आतंकवाद भारत तक नहीं पहुंचा है और न पकड़े गए चेहरों में से किसी के संबंध तालिबान से स्पष्ट हुए हैं, लेकिन हमारी एजेंसियों को चौकस तो होना पड़ेगा। यह साजि़श भी खुफिया लीड के आधार पर ही बेनकाब हो सकी है। बीते कुछ दिनों से कश्मीर घाटी के बजाय जम्मू संभाग में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं, लिहाजा मुठभेड़ की भी ज्यादा घटनाएं सामने आ रही हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पुराने अस्तित्व को कुचला जा चुका है, लेकिन तालिबान की कामयाबी के बाद पाकिस्तान हम पर आतंकी हमलों की गति तेज कर सकता है। भारत ने पाकिस्तान से संबंधित जो आतंकी पकड़े हैं, उनके कबूलनामों के आधार पर और अन्य सबूतों को लेकर डोजि़यर तैयार करने चाहिए और फाट््फ में दर्ज कराने चाहिए, ताकि उस पर कार्रवाई हो।