बनी रहेगी चुनौती

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस में गुटबाजी की जितनी चर्चा पिछले दो दिनों से थी, उसके मद्देनजर नए सीएम के रूप में सुखविंदर सिंह सुक्खू का चयन सहजता से हो गया। हालांकि यह फैसला उतना सहज है नहीं, जितना ऊपर से लग रहा है। चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने खुलकर अपने परिवार का दावा पेश किया था। इसके पीछे वीरभद्र सिंह की समृद्ध विरासत थी।

Update: 2022-12-13 03:24 GMT

नवभारत टाइम्स; हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस में गुटबाजी की जितनी चर्चा पिछले दो दिनों से थी, उसके मद्देनजर नए सीएम के रूप में सुखविंदर सिंह सुक्खू का चयन सहजता से हो गया। हालांकि यह फैसला उतना सहज है नहीं, जितना ऊपर से लग रहा है। चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने खुलकर अपने परिवार का दावा पेश किया था। इसके पीछे वीरभद्र सिंह की समृद्ध विरासत थी। ध्यान रहे, इन चुनावों में बीजेपी की हार के पीछे एक बड़ा कारण पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम सिंह धूमल की कथित उपेक्षा से उपजे असंतोष को ही बताया जा रहा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि कांग्रेस ने राज्य में एक तरह से जोखिम मोल लिया है। मगर इस जोखिम की वजह से प्रदेश राजनीति को एक सार्थक मोड़ मिला है। राज्य में कांग्रेस की राजनीति राजपरिवार के साये से बाहर निकली है। सुक्खू एक आम परिवार से आते हैं। राजनीति में भी उनका करियर बिल्कुल नीचे से ऊपर उठने का रहा है। कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि नया नेतृत्व सरकार में अपने कार्यकाल का फायदा उठाते हुए प्रदेश में पार्टी को मजबूती देगा। मगर असंतोष को काबू में रखना एक बड़ी चुनौती साबित होने वाली है।

राज्य में बीजेपी की ताकत खास कम नहीं हुई है। उसकी विधायक संख्या और विधानसभा में बहुमत के बीच महज नौ सीटों का गैप है। ऐसे में अन्य राज्यों के अनुभव के मद्देनजर कांग्रेस नेतृत्व को चौकस रहना होगा कि पार्टी के अंदर के असंतोष का दूसरे फायदा ना उठा लें। हालांकि पहले राउंड में कांग्रेस नेतृत्व ने इस मसले को कुशलता से निपटाया है। प्रदेश विधायक दल की बैठक से पहले भले ही प्रतिद्वंद्वी गुटों की ओर से दबाव बनाने की कोशिशें हुईं, लेकिन घोषणा होते ही प्रतिभा सिंह ने कह दिया कि आलाकमान का फैसला उन्हें पूरी तरह मान्य है। अभी तो सिर्फ मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने शपथ ली है, लेकिन कहा जा रहा है कि विक्रमादित्य सिंह को महत्वपूर्ण विभाग का जिम्मा सौंपने पर सहमति बन गई है। उपमुख्यमंत्री पद भी मुकेश अग्निहोत्री को दिया गया है, जो वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हैं। इन सबसे अलग, शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जिस तरह से राहुल गांधी मंच पर उठकर अपनी सीट से कई कदम आगे जाकर प्रतिभा सिंह से मिले, उन्हें गले लगाया, वह इस बात का साफ संकेत था कि मुख्यमंत्री चाहे कोई भी भी बने, प्रदेश राजनीति में इस परिवार का ऊंचा स्थान बना रहेगा। यह सहयोग, सामंजस्य और सौहार्द ही प्रदेश में राजनीतिक स्थिरता की गारंटी है। इसके साथ अब कांग्रेस सरकार के सामने अपने किए गए वादों को पूरा करने की चुनौती है।


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