रोहित युग की शुरुआत
श्रीलंका के खिलाफ आगामी टेस्ट सीरीज की कप्तानी रोहित शर्मा को सौंपे जाने की घोषणा के साथ ही तीनों फॉरमैट की कप्तानी में परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी हो गई। दूसरे शब्दों में भारतीय क्रिकेट का विराट कोहली युग औपचारिक तौर पर समाप्त हो गया।
श्रीलंका के खिलाफ आगामी टेस्ट सीरीज की कप्तानी रोहित शर्मा को सौंपे जाने की घोषणा के साथ ही तीनों फॉरमैट की कप्तानी में परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी हो गई। दूसरे शब्दों में भारतीय क्रिकेट का विराट कोहली युग औपचारिक तौर पर समाप्त हो गया। अब भारतीय क्रिकेट को यहां से आगे ले जाने की जिम्मेदारी रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ के कंधों पर आ गई है। वैसे विराट कोहली के बाद तीनों फॉरमैट की कप्तानी रोहित शर्मा को सौंपे जाने की बात पिछले कुछ समय से तय मानी जा रही थी, लेकिन अगर थोड़ा और पीछे जाकर देखा जाए तो इस फैसले तक पहुंचने की प्रक्रिया खासी उतार-चढ़ाव वाली और अनिश्चिततापूर्ण रही। कुछ महीने पहले तक जब विराट कोहली के इस्तीफे की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, तब सहज रूप में अजिंक्य रहाणे को ही उनका उत्तराधिकारी माना जा रहा था। वह उपकप्तान भी थे और उस हैसियत से जब भी टीम को लीड करने की जिम्मेदारी उन पर आई, उन्होंने बेहतरीन ढंग से उस दायित्व को पूरा किया। लेकिन अचानक फॉर्म गड़बड़ाया और उसका उनके प्रदर्शन पर ऐसा असर पड़ा कि श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में वह टीम में भी जगह नहीं बना सके। दूसरे सीनियर खिलाड़ी चेतेश्वर पुजारा के भी फॉर्म ने धोखा दे दिया। इन दोनों वजहों से फिलहाल सिलेक्टर्स के लिए रोहित शर्मा को तीन फॉरमैट का कप्तान बनाने का फैसला भले थोड़ा आसान हो गया हो, इससे जुड़ी जटिलताएं अब भी बनी हुई हैं।
रोहित का अनुभव निश्चित रूप से टीम के लिए एक प्लस पॉइंट है, लेकिन यही चीज यह भी याद दिलाती है कि उम्र के मामले में वह विराट कोहली से उन्नीस नहीं, बीस ही पड़ते हैं। ऐसे में जो वर्कलोड विराट को तीनों फॉरमैट की कप्तानी छोड़ने के फैसले तक ले आया, वह क्या रोहित पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा? खासकर तब जबकि रोहित फिटनेस की समस्या से पहले से ही जूझते रहे हैं। दूसरी बात यह कि उनके पास ज्यादा वक्त नहीं है। सात महीने बाद ही टी20 वर्ल्ड कप शुरू होने वाला है, जो उनकी कप्तानी की पहली बड़ी परीक्षा होगा। अच्छी बात यह है कि रोहित के कमजोर पक्षों से न सिर्फ खुद रोहित बल्कि टीम मैनेजमेंट भी अच्छी तरह वाकिफ है। उन्हें कप्तानी सौंपते हुए भी यह लक्ष्य साफ रखा गया है कि उनके नेतृत्व में टीम को भविष्य के कप्तान तैयार करने हैं। दूसरी बात, कोच, कप्तान और टीम मैनेजमेंट में तालमेल की जो कमी विराट कोहली के कार्यकाल के आखिरी दिनों में आ गई थी, वैसी कोई समस्या रोहित के साथ नहीं है। सही तालमेल और संतुलन बना रहे तो कठिन समस्याओं से भी आसानी से निपटा जा सकता है। उम्मीद की जाए कि रोहित शर्मा की कप्तानी टीम को न केवल गौरवपूर्ण उपलब्धियों से नवाजेगी बल्कि और बेहतर भविष्य की राह भी दिखाएगी।
नवभारत टाइम्स