सेना और सड़क पट्टी

‘पेव्ड शोल्डरÓ राजमार्ग का वह हिस्सा होता है जहां से वाहन नियमित रूप से गुजरते हैं।

Update: 2021-09-11 06:23 GMT

बीता सप्ताह मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत, करनाल में किसानों के नियंत्रण के लिए प्रशासन का अंग्रेजी रवैया, कहीं बाढ़, कहीं डेंगू तथा सबसे ज्यादा चिंताजनक कोरोना की तीसरी लहर की आहट से सतर्क सरकार का उपचुनाव न करवाना तो चर्चा में रहा ही, पर पड़ोसी देश अफगानिस्तान में तालिबान को चीन तथा पाकिस्तान का साथ, भविष्य में हमारे देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है, जिसके लिए सरकार को गंभीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत है। इसके अलावा बीते गुरुवार को राजस्थान के बाड़मेर में बनी एक सड़क का केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया। दोनों मंत्री एक ही विमान से इस सड़क पर उतरे, जिसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भारतीय वायु सेना के लिए एनएच-925 ए के सट्टा-गंधव सेक्शन के 3 किलोमीटर के हिस्से पर आपातकालीन पट्टी का निर्माण किया है। यह पट्टी भारतमाला परियोजना के तहत गागरिया-बखासर और सट्टा-गंधव हिस्से के 'टू-लेन पेव्ड शोल्डरÓ का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 196 किलोमीटर तथा लागत करीब 765 करोड़ रुपए हैं। 'पेव्ड शोल्डरÓ राजमार्ग का वह हिस्सा होता है जहां से वाहन नियमित रूप से गुजरते हैं।

वैसे तो यह देश का पहला ऐसा नेशनल हाईवे है जहां वायु सेना के लड़ाकू विमान भी उतर सकेंगे, पर सबसे पहले भारतीय वायु सेना के लड़ाकू और परिवहन वाहनों ने अक्तूबर 2017 में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस हाईवे पर मॉक लैंडिंग की थी। तब उन्होंने यह दिखाया था कि ऐसे मार्गों का उपयोग वायु सेना के विमानों द्वारा आपात स्थिति में उतरने के लिए किया जा सकता है, चूंकि लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस हाईवे राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार के तहत आता है तो उसके बाद सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर इस सुविधा को तैयार करने का मन बनाया। इस परियोजना का कार्य 19 महीने के अंदर पूरा किया गया है, जिसको जुलाई 2019 में शुरू करके जनवरी 2021 में संपन्न किया गया। इसका पूरा कार्य इंडियन एयर फोर्स और एनएचएआई की देखरेख में 'जीए वी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने किया है। इस परियोजना में आपातकालीन लैंडिंग पट्टी के अलावा कुंदनपुरा, सिंघानिया और बकासुर गांवों में वायु सेना और भारतीय सेना की आवश्यकताओं अनुसार तीन 100 Ó 30 मीटर के हैलीपैड भी बनाए गए हैं, जो पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना के सुरक्षा नेटवर्क को और भी सशक्त और सुदृढ़ करने में सहायक होंगे। यह पट्टी भारत-पाक सीमा से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर होने से सामरिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस हवाई पट्टी की चौड़ाई 33 मीटर तथा लंबाई 3 किलोमीटर है। इस परियोजना के उद्घाटन के मौके पर सड़क पट्टी पर वायु सेना के सुखोई और मालवाहक जहाज भी उतरे। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित यह रास्ता बाड़मेर और जालौर जिलों की परिवहन व्यवस्था को सुधारने के साथ-साथ पश्चिमी सीमा क्षेत्र में स्थित भारतीय सेना को भी मजबूत करेगा । मेरा मानना है कि आधुनिकता के इस दौर में इस तरह की बहुआयामी परियोजनाएं बनाना देश की तरक्की के लिए बहुत जरूरी है।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान, स्वतंत्र लेखक
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