शुरूआती चरण में देश में तीस करोड़ लोगों को टीकाकरण लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। देशवासियों की नजरें वैक्सीनेशन केन्द्रों पर लगी हैं, जहां से टीकाकरण अभियान की शुुरूआत होगी। केन्द्र सरकार ने टीकाकरण में प्राथमिकता उन लोगों को दी है जो संकट के समय डट कर खड़े रहे। पीपीई किट पहनकर भीषण गर्मी में भी उन्होंने दिन-रात काम किया। फिर गम्भीर रोगों से ग्रस्त, संक्रमण के उच्च जोखिम वाले लोगों और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाया जाएगा। टीके की दोनों खुराक सुिनश्चित करना सबसे बड़ा कार्य है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चुनावी बूथ जैसी रणनीति बनाने और वैक्सीन को लेकर अफवाहों पर अंकुश लगाने की अपील की है।
कुछ लोग अवश्य इस टीके के प्रभाव को लेकर अभी भी सशंकित हैं और कुछ राजनीतिक दल इसे सियासी रंग देने का प्रयास करते देखे गए। सवाल उठाए जा रहे हैं कि दो चरणों में ही इसका प्रशिक्षण पूरा होने के बाद इसे आम लोगों को नहीं लगाया जाना चाहिए। इसका विरोध करने वाले कुछ उदाहरण भी पेश कर रहे हैं, जिनमें इन टीकों का दुष्प्रभाव देखा गया। मगर इस तरह के संवेदनशील टीकों के परीक्षण में हमेशा सौ फीसद एक समान नतीजे कभी नहीं आते, इसलिए फिलहाल इसे लेकर आशंका व्यक्त करना उचित नहीं। हर व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और प्रकृति अलग-अलग होती है, उसमें पहले से ही चल रही कुछ बीमारियां बाधा उत्पन्न खड़ी कर सकती हैं। इसलिए लोगों को बेवजह डरना नहीं चाहिए। यह भी कोई कम उपलब्धि नहीं कि भारतीय वैज्ञानिकों ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन जैसी दोनों वैक्सीन कम समय में ईजाद कर ली हैं और वह भी सबसे कम कीमत पर।
हमारे यहां लोगों की फितरत को लेकर भी चिंतित होने की जरूरत है। भारतीय लाइन तोड़ कर कुछ भी हासिल करने को तत्पर रहते हैं। कुछ लोग बारी से पहले इसे हासिल करने की तिकड़म भिड़ाएंगे। कुछ लोग अपने पद, राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर वैक्सीन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। सबसे पहला टीका उन्हें ही मिलना चाहिए जिन्होंने देवदूत बनकर लोगों के जीवन की रक्षा की। आज भारत में अगर कोरोना वायरस विदाई लेते दिखाई दे रहा है तो उसका श्रेय देवदूतों को ही जाता है। कोरोना वायरस ने मानवता का सबक भी सिखाया है। यही वजह है कि दुनिया के पचास देशों ने वैक्सीनेशन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र को अधिकृत किया है। वैक्सीन की मुनाफाखोरी नहीं हो, इसके लिए भी लाभार्थियों की सूची का सख्त अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जिस तरह से वेबसाइटों पर कोरोना वैक्सीन की बिक्री के नाम पर लोगों को ठगने के तरीके ढूंढ लिए गए हैं, लोगों का सतर्क रहना बहुत जरूरी है।
अमेरिका आैर अन्य देशों में वैक्सीन में काफी विसंगतियां सामने आ रही हैं। कनाडा जैसे कम आबादी वाले देश में भी वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में नाराजगी है। वहां बिना किसी योजना और रणनीति के टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। आबादी काफी कम होना कनाडा के लिए राहत की बात है। लेकिन भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में यह अभियान दुनिया का सबसे बड़ा अभियान होगा, इसलिए इसे चुनौतियों से परे नहीं माना जा सकता। भारत के लिए टीकाकरण कोई नया अनुभव नहीं है। हमारे मेडिकल कर्मियों के लिए खसरा, पोलियाे आदि के देशव्यापी टीकाकरण का लम्बा अनुभव है।
केन्द्र सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है, वह देवदूतों को फ्री टीका लगाएगी। दिल्ली सरकार ने भी कहा है कि वह भी दिल्लीवासियों को मुफ्त टीके लगवाएगी। टीकाकरण की पूरी व्यवस्था भी वैज्ञानिक सोच के साथ की गई है। निःसंदेह आज का दिन देवदूतों को समर्पित दिवस है। क्योंकि यह दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है और वह भी दुनिया में सबसे कम कीमत पर। यही वजह है कि दुनिया के विकासशील और गरीब देश बड़ी उम्मीदों के साथ भारत की तरफ देख रहे हैं। भारत तो पूरे विश्व को एक परिवार मानता है और विषाणु पर विजय प्राप्त करने के लिए भारत न केवल एशिया के बल्कि अन्य देशों को भी टीका उपलब्ध कराने को तैयार है।