इसे दुर्भाग्यपूर्ण कहा जा सकता है कि कुछ वर्षो से देश में कुछ ऐसे तथाकथित असामाजिक तत्व सिर उठाने लगे हैं जो अपने आपको सरकार और कानून से ऊपर समझ कर कभी देशभक्ति का प्रमाण पत्र बांटने लग जाते हैं, कभी धार्मिक उन्माद फैलाने पर आमादा हो जाते हैं, कभी जात-पात को लेकर, कभी आस्था को लेकर, कभी किसी फिल्म का बहिष्कार करने की बात कर, और कभी किसी मनोरंजन शो को न होने देने की बात करते हैं।
यह भी विडंबना है कि सरकारें एवं प्रशासन वांछित कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साध कर बैठ जाते हैं, जबकि कानून व्यवस्था को बनाए रखना सरकारों और स्थानीय प्रशासन का दायित्व होता है। प्रशासन द्वारा ऐसे तत्वों पर ठोस कार्रवाई न करने की वजह से असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद हो जाते हैं।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
By: Divyahimachal