टॉयलेट पेपर सफेद ही क्‍यों होते हैं? जानिए

भले ही पश्चिमी देशों की तुलना में हमारे देश में टॉयलेट पेपर के उपयोग का चलन बहुत कम है लेकिन

Update: 2021-10-23 10:49 GMT

Knowledge News: भले ही पश्चिमी देशों की तुलना में हमारे देश में टॉयलेट पेपर (Toilet Paper) के उपयोग का चलन बहुत कम है लेकिन धीरे-धीरे इसमें बढ़ोतरी हो रही है. पहले केवल होटलों के वॉशरूम में पेपर टिश्‍यू दिखते थे लेकिन अब ऑफिस और कई घरों में भी इनका उपयोग जमकर हो रहा है. क्‍या आपने कभी इस बारे में सोचा है कि टॉयलेट पेपर हमेशा सफेद (White Toilet Paper) ही क्‍यों होता हैं. टिश्‍यू पेपर भले ही प्रिंटेड और रंग-बिरंगे आते हों लेकिन टॉयलेट पेपर हमेशा व्‍हाइट ही रहता है.


ये है वजह
टॉयलेट पेपर के हमेशा सफेद (White) होने के पीछे कोई नियम नहीं है, बल्कि ऐसा होने के पीछे का कारण वैज्ञानिक और कमर्शियल है. इसके अलावा पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर भी टॉयलेट पेपर का रंग सफेद रखा जाता है. इसके कारणों की बात करें तो बिना ब्‍लीच के पेपर का रंग भूरा होता है. ब्‍लीच करके उसे सफेद किया जाता है. भूरे रंग को कलर करने की तुलना में ब्‍लीच करने में कम लागत आती है. लिहाजा टॉयलेट पेपर की कीमतें कंट्रोल में रखने के लिए कंपनियां उसे सफेद ही रखती हैं.

टेक्‍नॉलॉजी. कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण की नजर से देखें तो सफेद टॉयलेट पेपर रंगीन पेपर की तुलना में जल्‍दी डीकंपोज होगा, इसलिए भी इसका रंग सफेद रखना बेहतर है. साथ ही रंगीन पेपर के इस्‍तेमाल से स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍या न हो लिहाजा डॉक्‍टर भी सफेद टॉयलेट पेपर को ही बेहतर मानते हैं.
कुछ कंपनियों ने किए प्रयोग
हालांकि टॉयलेट पेपर को सफेद रखने के पीछे इतने अहम कारण होने के बाद भी कुछ कंपनियों ने रंगीन या प्रिंटेड टॉयलेट पेपर का प्रोडक्‍शन करने की कोशिश की है लेकिन ऐसे पेपर चलन में नहीं आ सके. दुनिया के तकरीबन सभी देशों में सफेद रंग के ही टॉयलेट पेपर इस्‍तेमाल हो रहे हैं.
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