जरा हटके: रेलवे की पटरी खुले में रहती है. भारी लोहे की बनी होती है. इसके बावजूद वह चोरी क्यों नहीं होती? बहुत दुर्लभ ही ऐसा सुनने को मिलता है कि रेलवे ट्रैक का लोहा कोई चोरी करके ले गया. आखिर इसकी वजह क्या है? रेल ट्रैक का लोहा कोई चोरी क्यों नहीं कर सकता? सोशल मीडिया साइट कोरा पर कुछ यूजर्स ने यही सवाल पूछा. इस पर जो जवाब आया, वह बेहद दिलचस्प है. अजबगजब नॉलेज सीरीज की अगली कड़ी में आज इसी पर बात.
एक यूजर ने लिखा, रेलवे ट्रैक का लोहा चुराना किसी के लिए बेहद मुश्किल होगा क्योंकि पटरियां बेहद भारी और लेकर चलने में मुश्किल होती हैं. रेल पटरियों के लिए उपयोग की जाने वाली पटरी आमतौर पर 40 से 60 किलोग्राम प्रति मीटर के बीच होती हैं. इसे लेकर चलना किसी के लिए भी आसान नहीं. इसके अलावा रेल को टाई या स्लीपरों से सुरक्षित रूप से बांधा जाता है. इन्हें बांधने के लिए ट्रैक के नीचे गिट्टी या सबग्रेड के लिए लंगर डाले जाते हैं.
दूसरी सबसे बड़ी वजह रेल की पटरियां शुद्ध लोहे की नहीं, बल्कि स्टील की बनी होती हैं. रेल की पटरियों में इस्तेमाल होने वाला स्टील एक विशेष प्रकार का मिश्र धातु है जो बहुत कठोर और टिकाऊ होता है. इसी वजह से इसे काटना या तोड़ना मुश्किल हो जाता है. ये इतनी भारी होती हैं कि हिला पाना भी आसान नहीं. सुरक्षा का खास इंतजाम होता है.
आमतौर पर एक टीम इसकी निगरानी करती है. गश्त करती रहती है. इससे चोरों के लिए भी चोरी कर पाना काफी मुश्किल होता है. यह रेल परिवहन का महत्वपूर्ण घटक है. इसके साथ खेल करने का नतीजा काफी गंभीर हो सकता है. एक और महत्वपूर्ण बात, कोई कबाड़ी इस लोहे को नहीं खरीदता क्योंकि उस पर इंडियन रेलवे की सील लगी होती है. उसे डर रहता है कि कहीं न कहीं तो यह सामने आएगा और वह धर दबोचा जाएगा.