- 28 डिग्री सेल्सियस में क्या रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक? जानिए Ghost Particles के बारे में
अगर आप धरती के दक्षिण की ओर यात्रा करें तो एक समय बाद आप पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच जाएंगे
अगर आप धरती के दक्षिण की ओर यात्रा करें तो एक समय बाद आप पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच जाएंगे। वीरान बर्फ का रेगिस्तान जो -28 डिग्री सेल्सियस की भयानक ठंड के बीच हमेशा सफेद चादर से ढका रहता है। दक्षिणी ध्रुव के वातावरण में आप इंसानों की बस्ती की कल्पना भी नहीं कर सकते लेकिन यहां इंसान रहते हैं। यहां आपको वैज्ञानिकों की एक टीम मिल सकती है जो बर्फ के नीचे 2.8 किमी की गहराई में दफन अपने भारी भरकम उपकरणों से 'Ghost Particles' की खोज कर रही है।
'घोस्ट पार्टिकल्स' का संबंध किसी भूत या प्रेत से नहीं है बल्कि न्यूट्रिनो को दूसरे शब्दों में 'घोस्ट पार्टिकल' कहा जाता है। इनके नाम के साथ 'घोस्ट' शब्द इनकी प्रकृति और स्पेस से कनेक्शन के चलते लगा हुआ है। दरअसल न्यूट्रिनो अंतरिक्ष से आते हैं और किसी भी चीज के आरपार जा सकते हैं। इसको ऐसे समझ सकते हैं कि न्यूट्रिनो लगातार हमारे शरीर के आरपार गुजर रहे हैं। इनका पता लगाना बेहद मुश्किल होता है इसलिए इन्हें 'घोस्ट पार्टिकल्स' कहा जाता है और यही कारण है कि वैज्ञानिक इसके पीछे लगे हुए हैं।
इलेक्ट्रॉन से 500,000 गुना छोटे
न्यूट्रिनो की खोज करने और यह जानते हुए कि ये कहां से आ रहे हैं, वैज्ञानिकों ने दक्षिणी ध्रुव में एक IceCube Neutrino Observatory स्थापित की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां इनका पता लगाना आसान होगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक न्यूट्रिनो द्रव्यमान धारण करने वाला सबसे छोटा पार्टिकल है। ये इलेक्ट्रॉन के समान ही पार्टिकल होते हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि न्यूट्रिनो पर कोई चार्ज नहीं होता और इनका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन की तुलना में 500,000 गुना कम होता है।
अंतरिक्ष के राज खोल सकते हैं कण
न्यूट्रिनो को ब्रह्मांड का सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाना वाला पार्टिकल माना जाता है। ये हर जगह मौजूद होते हैं और इस वक्त भी असंख्य संख्या में हमारे शरीर के आरपास हो रहे हैं। एक सेकंड में 100 ट्रिलियन न्यूट्रिनो हमारे शरीर के आरपार होते हैं। सवाल यह है कि इनकी खोज के लिए वैज्ञानिक इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं? शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी प्रकृति और उत्पत्ति के कारण उनकी खोज बेहद अहम है। सौर मंडल के बाहर और सूर्य से आने वाले न्यूट्रिनो हमें बता सकते हैं कि उनकी उत्पत्ति कहां हुई। यह वैज्ञानिकों के लिए अंतरिक्ष के नए रहस्य खोल सकता है।