नवजात बच्चे की नाभी में छिपा कोरोना का इलाज, हजारो मरते लोगों को वापस ले आया 1 गर्भनाल

Update: 2021-01-06 13:20 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| जबसे दुनिया में कोरोना फैला है, कई देश इसके इलाज को ढूंढने में जुट गए हैं। 2020 में तबाही मचाने के बाद साल के अंत में कई देशों ने कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया और कई देशों में लोगों को वैक्सीन पड़ने लगे। हालांकि, अभी तक ये कंफर्म नहीं हुआ है कि कौन सी वैक्सीन इसमें से कारगर साबित होगी। इस बीच अब एक स्टडी में दावा किया गया है कि बच्चों के गर्भनाल में ऐसे अंश मौजूद होते हैं जो कोरोना के गंभीर मरीजों को मौत के मुंह से वापस खींचकर ला सकते हैं। इस स्टडी को कोरोना के सीरियस पेशेंट पर किया गया था जिसके रिजल्ट पॉजिटिव आया है। ऐसे काम करता है गर्भनाल...

यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी के साइंटिस्ट्स ने बच्चों के गर्भनाल में मौजूद स्टेम सेल्स द्वार कोरोना मरीजों का इलाज किया। इसमें दावा किया गया कि हर मरीज इस इलाज से ठीक हो गया है। सिर्फ एक मरीज की इस इलाज के बाद मौत हुई।
इस एक्सपेरिमेंट को 85 साल से ऊपर के कोरोना मरीजों पर किया गया था। स्टडी में पाया गया कि नवजात बच्चों के गर्भनाल में मौजूद स्टेम सेल्स कोरोना वायरस को मार देते हैं।
एक्सपेरिमेंट में पाया गया कि गर्भनाल में मौजूद स्टेम सेल्स सांस लेने में होने वाली दिक्क्तों को कम करता है। इसे जितने भी लोगों पर यूज किया गया, सभी ठीक हो गए।

दरअसल, ये स्टेम सेल्स डैमेज हुए सेल्स को रिपयेर कर देते हैं। रिसर्चर्स का दावा है कि एक गर्भनाल में मौजूद स्टेम सेल्स से दस हजार कोरोना मरीजों को बचाया जा सकता है
मियामी यूनिवर्सिटी के सीनियर प्रोफेसर कैमिलियो रिकोर्डी (Camillo Ricordi) ने बताया कि ये तरीका काफी सस्ता है और सबसे बड़ी बात कि ये कोरोना मरीजों को बिलकुल ठीक कर देता है।
मियामी यूनिवर्सिटी के सीनियर प्रोफेसर कैमिलियो रिकोर्डी (Camillo Ricordi) ने बताया कि ये तरीका काफी सस्ता है और सबसे बड़ी बात कि ये कोरोना मरीजों को बिलकुल ठीक कर देता है।
प्रोफेसर कैमिलियो रिकोर्डी ने बताया कि आखिर ये तरीका कैसे काम करता है? उनके मुताबिक, जैसे ही ये स्टेम सेल्स बॉडी में जाते हैं ये कोरोना द्वारा बर्बाद किये गए इम्यून सिस्टम को रिस्टोर करने लगते हैं।
इस स्टडी को Stem Cells Translational Medicine में पब्लिश किया गया है। इसमें 24 मरीजों का इलाज किया गया था। सभी की उम्र 85 के ऊपर थी। ये एक्सपेरिमेंट इसलिए भी अहम है कि कोरोना से सबसे ज्यादा बुजुर्गों की जान ही जा रही है।
अब इस स्टडी के आधार पर कोरोना मरीजों पर प्लासेंटा द्वारा इलाज का प्रपोजल दिया गया है। अब इस एक्सपेरिमेंट को उन कोरोना मरीजों पर अपनाया जाएगा जो वेंटीलेटर पर हैं। अगर ये कामयाब हुआ तो कोरोना का तोड़ दुनिया को मिल जाएगा।


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