अपने पति का दाह संस्कार के बाद बची राख को खाती है ये महिला, हिला देगी यह वजह
जीवन के बाद मौत ही अंतिम सत्य है। इस बीच जो कुछ भी घटित होता है।
आज हम आपको जिस घटना के बारे में यहां बताने जा रहें हैं। वह मानव के अंतिम कर्म से ही सम्बंधित है। यह घटना एक ऐसी महिला की है। जो अपने पति के दाह संस्कार के बाद बची उसके शरीर की राख को खाने लगी थी। जब इस महिला की स्टोरी सामने आई तब सभी लोग हैरान रह गए। इस महिला ने बताया की वह इस प्रकार का कार्य आखिर क्यों करने लगी थी। यह महिला अपने पति के शरीर की राख को न सिर्फ चूरन की तरह से खाती थी बल्कि उसको खाना बनाते समय नमक के स्थान पर भी प्रयोग करने लगी थी। आइये अब आपको बताते हैं इस महिला की असल स्टोरी को।
जिस महिला के बारे में हम आपको यहां बता रहें हैं। उसका नाम "केसी" है। केसी ने अपनी यह घटना "माई स्ट्रेंज एडिक्शन" नामक एक कार्यक्रम में बताई थी। केसी के पति "शॉन" की मौत कुछ ही दिन पहले अस्थमा के अटैक से हो गई थी। हिंदू धर्म में जब भी कभी किसी की मौत होती है तब दाह संस्कार के बाद मृत व्यक्ति की अस्थियों को इकठ्ठा कर उनको गंगा जी में विसर्जित कर दिया जाता है। इस महिला ने एक अनोखा कार्य किया। इसने अपने पति के दाह संस्कार के बाद उसकी राख इकट्ठी की तथा उसको डब्बे में भर कर अपने घर एक यादगार के तौर पर ले आई। एक बाद जब यह महिला उस राख के डब्बे को उठा रही थी तब उसमें से कुछ राख महिला के शरीर पर गिर गई।
महिला यानि केसी नहीं चाहती थी की उसके पति की राख जमीन पर गिरे। अतः उसने अपने शरीर की राख को चाट लिया। केसी को इस राख का स्वाद कुछ अच्छा सा लगा। इसके बाद केसी अपने पति की राख को किसी चूरन की तरह खाने लगी। धीरे धीरे केसी को इस राख को खाने की आदत पड़ गई। अब वह सब्जियां बनाते समय भी उसमें यह राख डालने लगी। कुछ समय बाद केसी को विचार आया की यदि वह इस प्रकार अपने पति की राख को खा जाएगी तब एक दिन उसके पति की आखरी निशानी भी ख़त्म हो जाएगी।
इसके बाद में केसी डॉक्टर के पास गई और डॉक्टर से सलाह ली। डॉक्टर ने केसी को बताया की मानव के शरीर का दाह संस्कार करने के लिए कई प्रकार के केमिकल का यूज किया जाता है। अतः उसके राख का सेवन मानव शरीर तथा स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसके अलावा इस प्रकार की राख को सेवन करने वाले में कैंसर का ख़तरा भी बढ़ जाता है। वर्तमान में केसी का ट्रीटमेंट चल रहा है और धीरे धीरे वे अपनी इस आदत को बदल रहीं हैं।