छठ पर्व से संबंध है ये सूर्य मंदिर, जिसमे छिपा है कई अद्भुत रहस्य

देशभर में आज यानी 10 नवंबर 2021, बुधवार को छठ महापर्व है। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व में आज डूबते सूर्य को अर्घ्य दी जाएगी।

Update: 2021-11-10 07:44 GMT

 जनता से रिश्ता वेबडेसक |    देशभर में आज यानी 10 नवंबर 2021, बुधवार को छठ महापर्व है। चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व में आज डूबते सूर्य को अर्घ्य दी जाएगी। इसके साथ ही श्रद्धालु छठी मैया की आराधना करेंगे। छठ पूजा का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो छठ पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन अब ये त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। छठ के पर्व में उगते हुए और डूबते हुए सूर्य दोनों को अर्घ्य देते हैं। छठ महापर्व में विशेष रूप भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। छठ महापर्व के मौके पर आपको देश के एक अद्भुत सूर्य मंदिर के बारे में बताते हैं....

देशभर में भगवान सूर्य के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। सूर्य मंदिरों में सबसे पहले कोणार्क के सूर्य मंदिर का नाम लिया जाता है। लेकिन बिहार के औरंगाबाद जिले में एक सूर्य मंदिर स्थित है जो आस्था का केंद्र है। इसके साथ ही यह बेहद रहस्यमयी मंदिर है। छठ महापर्व पर इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है। छठ पूजा करने के लिए यहां पर बिहार के साथ ही कई राज्यों के लोग आते हैं
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इस प्राचीन सूर्य मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में कर दिया था। यह भारत का पहला ऐसा सूर्य मंदिर है जिसका दरवाजा पश्चिम की तरफ है। इस मंदिर में भगवान सूर्य सात घोड़े वाले वाले रथ पर सवार हैं। इस मंदिर में भगवान सूर्य के तीनों रूपों उदयाचल-प्रात: सूर्य, मध्याचल- मध्य सूर्य और अस्ताचल -अस्त सूर्य के रूप में प्रतिमा स्थापित है। बताया जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत यहीं से हुई थी।
डेढ़ लाख साल से पहले मंदिर का हुआ था निर्माण
यह मंदिर करीब एक सौ फीट ऊंचा है। इसके अलावा यह मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। बताया जाता है कि डेढ़ लाख साल पहले इस मंदिर का निर्माण किया गया था। आयताकार, वर्गाकार, अर्द्धवृत्ताकार, गोलाकार, त्रिभुजाकार पत्थर से इस मंदिर का निर्माण किया गया है। इसके निर्माण में गारा या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। आज भी यह रहस्य है कि यह मंदिर एक रात में कैसे बन गया और पश्चिम की तरफ मुख का होकर भी भगवान सूर्य के दर्शन कैसे होते हैं।
जानिए कैसे किया गया निर्माण
यह प्राचीन सूर्य मंदिर अपने इतिहास के लिए भी देशभर में प्रसिद्ध है। डेढ़ लाख वर्ष पुराना यह सूर्य मंदिर औरंगाबाद से करीब 18 किलोमिटर दूर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण काले और भूरे पत्थरों से किया गया है। यह सूर्य मंदिर देखने पर ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर की तरह दिखता है।
मंदिर के बाहर एक शिलालेख पर ब्राह्मी लिपि में एक श्लोक लिखा गया है। इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में किया गया था। शिलालेख पर लिखे श्लोक के मुताबिक, इस पौराणिक मंदिर के निर्माण को 1 लाख 50 हजार 19 वर्ष पूरे हो चुके हैं।



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