150 मिलियन वर्ष पहले बने थे ये निशान, है डायनासोर के पैर
डायनासोर (Dinosaurs) आज पृथ्वी पर नहीं मौजूद हैं, लेकिन अब भी इनका नाम पृथ्वी पर अब तक पाए जाने वाले सबसे विशाल काय जानवरों में इनका नाम शुमार था.
डायनासोर (Dinosaurs) आज पृथ्वी पर नहीं मौजूद हैं, लेकिन अब भी इनका नाम पृथ्वी पर अब तक पाए जाने वाले सबसे विशाल काय जानवरों में इनका नाम शुमार था. डायनासोर के बारे में जानने के लिए अभी दुनिया के अलग अलग देशों में वैज्ञानिक रिसर्च में लगे हुए हैं. इस बीच इस विशालकाय जानवर को लेकर चीन से एक बड़ी खबर सामने आई है. जुलाई महिने के पहले सप्ताह में वैज्ञानिकों की टीम ने घोषणा की कि उत्तरी चीन में डायनासोर (dinosaurs footprints) के सबसे अधिक संख्या में पैरों के निशान मिले हैं.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार चीनी शोधकर्ताओं ने उत्तरी चीनी प्रांत हेबेई के झांगजियाकौ में 4,300 से अधिक डायनासोर के पैरों के निशान खोजे हैं. इस खोज को पैलियोथोलॉजी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक खोज माना जा रहा है.
150 मिलियन वर्ष पहले बने थे निशान
रिपोर्ट के मुताबिक डायनासोर के ये पैरों के निशान 9000 वर्ग किलोमीटर के आकार में जुरासिक और क्रेटेशियस युग के बीच या फिर लगभग 150 मिलियन वर्ष पहले बने थे. पाए गए निशानों में पैरों के निशान की पुष्टि सबसे पहले अप्रैल 2020 में की गई थी. बाद में सभी निशानों का बारीकी से परीक्षण किया गया.
चाइना डेली की रिपोर्ट के अनुसार डायनासोर जिस गति से चले थे उससे बने निशानों से उनकी लंबाई और वजन का पता लगाया जा सकता है. चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ जियोसाइंसेज के डायनासोर विशेषज्ञ जिंग लिडा ने चाइना डेली को बताया, "पैरों के निशान न केवल डायनासोर के रहन-सहन और व्यवहार को दर्शाते हैं, बल्कि इनके माध्यम से उस समय के डायनासोर और उनके रहने के वातावरण के बीच की बातचीत को भी दर्शाते हैं."जीवाश्म से आकार का लग सकता है पता
निशानों के जो प्रिंट दिखाए गए हैं उनमें चार अलग अलग तरह के डायनासोर की प्रजातियों की पुष्टि होती है. किसी भी प्रजाति को कोई नाम नहीं दिया गया है. एक्सपर्ट का मानना है कि इन जीवाश्मों में से एक ऐसा जीवाश्म भी हो सकता है जिसे अभी तक पहचाना ही नहीं गया है.
मिले जीवाश्मों से शाकाहारी और मांसाहारी होने का निर्धारण भी किया जा सकता है. मांसाहारी छोटे होते थे जिनकी लंबाई केवल चार से पांच मीटर होती थी जबकि वहीं शाकाहारी काफी लंबे होते थे और इनकी लंबाई 15 मीटर तक हो सकती थी.