घर की खुदाई में मिला ज़मीन में गड़ा खज़ाना, पुलिस ने किया ज़ब्त
अक्सर ज़मीन में गड़े खजाने की बातें किस्से कहानियों में सुनने को मिलती रही है. काल्पनिक कथाओं के अनुसार तो गड़ा खजाना मिलते ही उस परिवार के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं.
अक्सर ज़मीन में गड़े खजाने की बातें किस्से कहानियों में सुनने को मिलती रही है. काल्पनिक कथाओं के अनुसार तो गड़ा खजाना मिलते ही उस परिवार के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं. किस्मत चमक जाती है. और राजसी ठाट-बाट वाले दिन शुरु हो जाते हैं. लेकिन सच्चाई तो ये है कि ऐसा बाते केवल कहानियों में ही होती है. असल में तो ज़मीन से खज़ाना मिला तो सरकार का, कबाड़ और गलत सामान मिला तो आपका. जी हां, ऐसा एक वाकया असल में सामने आया जमकर हंगामा देखने को मिला.
शौचालय की खुदाई के दौरान करीब सवा सौ साल पुराना खज़ाना ज़मीन में गड़ा मिला तो मजदूरों ने आपस में ही उसके लिए जमकर लड़ाई और हंगामा खड़ा कर दिया. बाद में सूचना मिलने पर आई पुलिस ने खज़ाना ज़ब्त कर लिया जो अंग्रेज़ों के जमाने का बताया गया. मामला यूपी के जौनपुर का है.
ज़मीन की खुदाई में मिला खजाना, सोने के सिक्कों से भरा था लोटा
जौनपुर के मछलीशहर में उस वक्त हड़कंप मच गया जब पता चला कि एक घर में शौचालय बनाने के लिए जब ज़मीन खोदी गई तब उसके नीचे से सैकड़ों साल पुराना गड़ा खजाना देख मजदूरों की आंखे चमक गई. एक तांबे के पात्र में सोने के सिक्के भरे पड़ा थे. बस इसी खजाने के लिए सारे के सारे मजदूर आपस में इस कदर लड़ पड़े की घर के निर्माण का काम बीच में रोकना पड़ा. आखिर काम करता भी कौन सारे मजदूर तो खजाने कब्ज़ाने की लड़ाई में मशगूल हो गए था. लिहाज़ा जब बात नहीं बनी तो मजदूर काम ठप्प कर अपने-अपने घर चले गए. लेकिन जब इस की भनक घर के मालिक को लगी तो उन्होंने तुरंत मजदूरों को बुलावा भेजा और ज़मीन से मिले खज़ाने की पूछताछ की बड़ी मशक्कत के बाद मजदूरों में मालिक के बेटे के हाथ में मात्र एक सिक्का रख दिया तो जमीन से मिला था. बाद में कहीं से पुलिस को भी सूचना मिल गई ज़मीन से गड़ा खजाना मिला. फिर तो क्या मालिक, क्या मजदूर सबके आंखों की चमक और किस्मत खुलने के सपने धरे के रह गए. और वर्दीवाले आकर सारा सोने का सिक्का साथ ले गए.
133 साल पुराने सोने के सिक्के मिले
ज़मीन से सिक्कों से भरा एक लांबे का बर्तन मिला था, उसमें मिले सिक्कों को करीब 133 साल पुराना बताया गया, जो 1889 से 1912 के बीच ब्रिटिश कार्यकाल के दौरान के थे. मौके पर पहुंची पुलिस ने जब मजदूरों से कड़ाई से पूछताछ की तो उन्होंने करीब 9-10 सिक्के पुलिस को दे दिए. हालांकि पुलिस को अंदेशा है कि सिक्कों की संख्या इससे ज्यादा रही होगी जिसे मजूरों ने छुपा लिया है. लिहाज़ा पुलिस मजदूरों से कड़ी पूछताछ कर और सिक्के निकलवाने और सारा सच जानने की कोशिश में है.