विशाल महल का रहस्य: इस किले पर हर साल गिरती है बिजली, वैज्ञानिकों ने बताई वजह

भारत में आज भी कई ऐसे किले मौजूद हैं, जिनके रहस्य से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है

Update: 2021-04-13 06:29 GMT

भारत में आज भी कई ऐसे किले मौजूद हैं, जिनके रहस्य से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है. आए दिन जहां कोई ना कोई अजीबोगरीब घटना होती रहती हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसी जगह के बारे में सुना है. जहां हर साल आसमान से बिजली गिरती है, लेकिन इस रहस्य को आज तक कोई भी सुलझा नहीं पाया है कि ऐसा होता क्यों है?


हम बात कर रहे हैं झारखंड के रांची में स्थित एक रहस्यमयी किले के बारे में, जिसे राजा जगतपाल सिंह के किले के नाम से जाना जाता है. किसी जमाने में ये किला 100 कमरों वाला एक विशाल महल हुआ करता था, लेकिन हर साल बिजली गिरने के कारण ये किला अब पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है.

क्या श्राप के कारण होता है ऐसा?
ये किला रांची से 18 किलोमीटर की दूर पिठौरिया गांव में स्थित है. कहा जाता है कि ये किला लगभग 200 साल पुराना है. गांव वालों का मानना है कि राजा जगतपाल सिंह को दिए गए श्राप के कारण इस किले पर बिजली गिरती है. यूं तो आसमानी बिजली का गिरना एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन हर साल एक ही जगह बिजली का गिरना लोगों को जरूर सोचने पर मजबूर कर देता है.

वैसे तो किले के राजा अपनी प्रजा का काफी ख्याल रखते थे, लेकिन उनकी गलतियों के कारण उनका नाम इतिहास में एक गद्दार के रूप में भी दर्ज कर लिया गया. ऐसा कहा जाता है कि राजा जगतपाल सिंह ने अंग्रजों की मदद की थी. वो क्रांतिकारियों से जुड़ी हर खबर अंग्रेजों तक पहुंचाते थे.

लोगों की मानें तो 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में राजा ने अंग्रजों की मदद की थी. कहते हैं कि एक क्रांतिकारी विश्वनाथ शाहदेव ने उनसे नाराज होकर उन पर हमला बोल दिया था, जिसके बाद राजा ने उन्हें फांसी पर लटका दिया था.

इस गांव में रहने वाले लोगों की मानें तो क्रांतिकारी विश्वनाथ शाहदेव ने राजा को श्राप दिया था कि आने वाले समय में जगतपाल सिंह का नामोनिशान नहीं रहेगा और उनके किले पर हर साल उस समय तक बिजली गिरती रहेगी, जब तक कि किला पूरी तरह बर्बाद नहीं हो जाता.

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस किले पर बिजली इसलिए भी गिरती है, क्योंकि यहां मौजूद ऊंचे पेड़ और लौह-अयस्क का भंडार है जो आसमानी बिजली को अपनी तरफ खींच लेता है लेकिन गांव के रहने वाले लोग इस तथ्य को सिरे से खारिज कर देते हैं. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां आज मुकाबले लौह-अयस्क उस समय ज्यादा मौजूद थे, लेकिन उस समय तो किले पर बिजली नहीं गिरती थी.
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