भारत-पाक बॉर्डर पर गया ऑफिसर हुए लापता...और फिर….

जवान लापता हुए तो भारत-पाकिस्‍तान के बीच कारगिल में

Update: 2021-03-08 11:19 GMT

सन् 1999 में जब जम्‍मू कश्‍मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर पेट्रोलिंग करते हुए कैप्‍टन सौरभ कालिया और पांच जवान लापता हुए तो भारत-पाकिस्‍तान के बीच कारगिल में एक संघर्ष की शुरुआत हुई. उसी समय जून में कैप्‍टन कालिया और पांच जवानों के शव बर्फ में दबे हुए मिले.

इस दिल दहला देने वाले हादसे के ठीक दो साल पहले भी इसी तरह की एक घटना हुई. इस घटना में इंडियन आर्मी ऑफिसर कैप्‍टन संजीत भट्टाचार्जी और उनके साथ पेट्रोलिंग पर गए लांस नायक राम बहादुर थापा को पाकिस्‍तान ने पकड़ लिया. कैप्‍टन संजीत की 84 साल की मां अपने बेटे की तलाश के लिए दर-दर भटक रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कैप्‍टन भट्टाचार्जी की मां कमला भट्टाचार्जी की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है और इसकी अगुवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा है कि वह सेनाओं के उन सभी ऑफिसर्स की लिस्‍ट तैयार करें जो अभी तक पाकिस्‍तान की जेल में बंद हैं.
मामले की सुनवाई अब 23 अप्रैल को होगी और सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार हफ्तों का समय दिया है. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इन चार हफ्तों में वह कैप्‍टन भट्टाचार्जी का पता लगाएं जो 23 साल से गायब हैं और माना जा रहा है कि वो पाकिस्‍तान की जेल में ही हैं.
बॉर्डर पर पेट्रोलिंग के बाद से गायब
कैप्‍टन भट्टाचार्जी, गुजरात स्थित कच्‍छ के रण में भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर पेट्रोलिंग करते हुए लापता हो गए थे. उनकी मां ने कोर्ट को बताया है कि जिस दिन से कैप्‍टन भट्टाचार्जी गायब हुए हैं तब से ही उन्‍होंने अपने बेटे की आवाज नहीं सुनी है.
न ही उन्‍हें यह जानकारी मिली है कि उनका बेटा किस जगह पर है.कैप्‍टन संजीत भट्टाचार्जी, 19 अप्रैल 1997 को लांस नायक राम बहादुर थापा और कुछ और जवानों के साथ पेट्रोलिंग पर गए थे.
पेट्रोलिंग पर गए बाकी 15 जवान तो पलटन में वापस आ गए लेकिन कैप्‍टन भट्टाचार्जी और लांस नायक थापा नहीं लौटे. परिवार को उसी दिन गायब होने की जानकारी दे दी गई थी.
सेना ने माना कैप्‍टन को मृत
चार दिन बाद सेना की तरफ से कैप्‍टन भट्टाचार्जी के परिवार को बताया गया कि उन्‍हें पाकिस्‍तान की अथॉरिटीज ने पकड़ लिया है और उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका है.
इसी वर्ष आर्मी ने एक ऐसा रेडियो इंटरसेप्‍ट ट्रेस किया जिसमें इस बात की पुष्टि हो रही थी कि कैप्‍टन को पहले पाकिस्‍तान रेंजर्स ने पकड़ा और फिर इसी समय पाक आर्मी के हवाले कर दिया.
साल 2004 में सेना ने एक चिट्ठी जारी की और इसमें गायब हुए ऑफिसर को मृत मान लिया गया. मगर साल 2010 में सेना ने 54 ऐसे प्रिजनर ऑफ वॉर (PoWs) की एक लिस्‍ट तैयार की.
इस लिस्‍ट में कैप्‍टन भट्टाचार्जी का नाम भी शामिल था. कैप्‍टन की मां को राष्‍ट्रपति के सचिवालय से भेजी गई चिट्ठी में यह जानकारी मिली थी कि उनके बेटे का नाम इस लिस्‍ट में शामिल किया गया है.
बेटे का इंतजार करते-करते पिता की मृत्‍यु
कैप्‍टन संजीत भट्टाचार्जी आज शायद ब्रिगेडियर की रैंक पर होते. बेटे के लौटने के इंतजार में 28 नवंबर 2020 को पिता का निधन हो गया. कैप्‍टन संजीत उनकी सबसे छोटी संतान थे और घर के लाडले थे. कराटे में ब्‍लैक बेल्‍ट कैप्‍टन संजीत किस हाल में कोई नहीं जानता है.
सेना के 24-28 अप्रैल 1997 तक के रिकॉर्ड के मुताबिक कैप्‍टन संजीत को एक पाक मछुआरे ने पाक आर्मी के मेजर खियानी को सौंप दिया था.
जलाई 2001 में जब आगरा समिट हुई और तत्‍कालीन पाक राष्‍ट्रपति परवेज मुशर्रफ, उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने आए तो इस मसले को उठाया गया था. पाक के सामने गायब 54 युद्धबंदियों का जिक्र हुआ था.
सरकार बोली-हम असमर्थ हैं
कैप्‍टन भट्टाचार्जी की मां ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि उनके बेटे को आर्टिकल 21 के तहत मौलिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया है.
इस नियम के तहत किसी व्‍यक्ति के पास अपने जीवन की रक्षा और व्‍यक्तिगत आजादी का अधिका‍र होता है.
साल 2019 में विदेश राज्‍य मंत्री वी मुरलीधरन ने संसद को बताया था कि पाकिस्‍तान की जेल में 83 युद्धबंदी मौजूद हैं.
उनका कहना था कि सरकार और सेना इस मामले में पूरी तरह से असमर्थ हैं क्‍योंकि पाक हमेशा भारतीय युद्धबंदियों की बात से मुकर जाता है.


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