The Hong Pao Tea है दुनिया की सबसे महंगी चाय, 1 कप की कीमत उड़ा देगी होश
भारत में चाय के दीवानों की कमी नहीं है
International Tea Day 2021: भारत में चाय के दीवानों (Tea Lovers) की कमी नहीं है. कुछ लोगों का दिन चाय की घूंट के साथ ही शुरू होता है. 21 मई को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस यानी 'इंटरनेशनल टी डे' (International Tea Day) के तौर पर मनाया जाता है. साल 2019 से पहले इसे हर साल 15 दिसंबर को मनाया जाता था. इस साल दूसरा मौका है, जब 21 मई को 'इंटरनेशनल टी डे' मनाया जाएगा. जानिए दुनिया की सबसे महंगी चाय (Costliest Tea In The World) 'द होंग पाओ' (The Hong Pao) के बारे में.
यूनाइटेड नेशंस (यूएन) (United Nations) की तरफ से भारत के अनुरोध पर 21 मई को 'इंटरनेशनल टी डे' (International Tea Day) के तौर पर मनाने का फैसला किया गया था. यूएन (UN) की तरफ से इस दिन के आयोजन का मकसद चाय की खेती में लगे किसानों को पहचान दिलाना भी है.
माना जाता है कि चाय पीने की शुरुआत चीन (China) से 10वीं सदी में हुई थी. इसके बाद चाय भारत (India) पहुंची और आज हर घर की जान बन चुकी है. अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day) के मौके पर जानिए 'द होंग पाओ' (The Hong Pao Tea Cost) चाय के बारे में, जिसकी कीमत सोने से 30 गुना ज्यादा है.
चीन के एक छोटे से शहर फुजियान के वूइसन एरिया में पाई जाने वाली 'द होंग पाओ' चाय (The Hong Pao Tea) सेहत के लिहाज से काफी लाभदायक मानी जाती है. एक खास पेड़ से तैयार 'द होंग पाओ टी' को जीवनदायनी माना जाता है, जिसकी वजह से इसकी कीमत सोने से भी ज्यादा है. इस चाय का एक घूंट करीब 9 करोड़ रुपए का है
साल 2002 में एक अमीर व्यवसायी ने इस चाय की 20 ग्राम मात्रा खरीदने के लिए 28 हजार डॉलर अदा किए थे. चीन में चाय पीने की संस्कृति करीब 1500 साल पुरानी है. लेकिन इसके बाद भी इस चाय की कीमत ने सबके होश उड़ा रखे हैं.
दुनिया की सबसे महंगी चाय यानी असली 'द होंग पाओ' की एक ग्राम की कीमत के लिए आपको 1400 डॉलर अदा करने पड़ेंगे और अगर आपको यह चाय एक पॉट में चाहिए तो आपको 10,000 डॉलर से ज्यादा खर्च करने पड़ सकते हैं.
'द होंग पाओ' चाय (The Hong Pao Tea) दुनिया में सबसे महंगी है (The Costliest Tea In The World) क्योंकि यह चाय जिस पेड़ से बनती है, अब वे न के बराबर रह गए हैं. ऐसे में जो प्राचीन चाय संग्रहित करके रखी गई है, उसे अनमोल करार दिया जाता है. यह चाय जिस पेड़ से बनती थी, वे 300 साल तक पहाड़ों पर पाए जाते थे. कहा जाता है कि 'द होंग पाओ' चाय का उत्पादन करने वाला आखिरी पेड़ साल 2005 में खत्म हो गया था.