वैज्ञानिकों ने किया हैरान कर देने वाला खुलासा , कहा - धीरे-धीरे मरती जा रही है आकाशगंगा

अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।

Update: 2021-11-17 15:02 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |     अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं। इस दौरान वैज्ञानिकों को कई जानकारियां मिल रही हैं और वह लगातार नए-नए खुलासे कर रहे हैं। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दुर्लभ खगोलीय घटना का खुलासा किया है जिसके बारे में जानकर पूरी दुनिया हैरान है। इस घटना को अब तक कभी नहीं देखा गया था। वैज्ञानिकों ने धरती से करीब 9 अरब प्रकाश वर्ष दूर एक आकाशगंगा (गैलेक्सी) को खोजा है। यह आकाशगंगा धीरे-धीरे मरती जा रही है। यह आकाशगंगा नए तारे बनाती है, लेकिन नए तारों का निर्माण करने वाली गैस और ईंधन धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है।

अंतरिक्ष में कई आकाशगंगा स्थित हैं जिनकी एक निर्धारित अवधि पूरा करने के बाद मौत हो जाती है। वैज्ञानिकों ने इससे पहले किसी आकाशगंगा की मौत होते हुए नहीं देखा था। वैज्ञानिक इस पर अभी तक सिर्फ रिसर्च कर रहे थे। वैज्ञानिकों ने पहली बार आकाशगंगा को मरते हुए देखा है।वैज्ञानिकों ने एक खास टेलिस्कोप से इस खगोलीय घटना को देखा। धीरे-धीरे एक आकाशगंगा की मौत हो रही है जो हमारी धरती से करीब 9 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद है। वैज्ञानिकों ने जिस टेलीस्कोप से इस आकाशगंगा का पता लगाया है वह अटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलिमीटर एरे (एएलएमए) टेलीस्कोप है।
46 प्रतिशत हिस्सा हो चुका है समाप्त
इस आकाशगंगा की पहचान के लिए ID2299 नाम दिया गया है। आकाशगंगा से नए तारों का निर्माण होता है, लेकिन यह लगभग आधे से अधिक समाप्त हो चुकी हैं। इसके अलावा आकाशगंगा का ईंधन भी खत्म होता जा रहा है। अंतरिक्ष में आकाशगंगा की मौत होने के बाद नए तारों का निर्माण नहीं हो पाएगा।
ईंधन या नए तारों का निर्माण करने वाली गैसों के समाप्त होने की वजह से आकाशगंगा की मौत होती है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने जिस ID2299 को खोजा है उससे हर वर्ष करीब दस हजार सूर्य बनाने वाली गैसें ठंडी गैस बनकर बाहर निकलती जा रही हैं। इस समय इन गैसों का 46 प्रतिशत भाग समाप्त हो चुका है।
जानिए कब तक होगी मौत
अच्छी बात यह है कि इस आकाशगंगा में अभी नए तारें बन रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या काफी कम है। वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि ईधन का खर्च नए तारों के निर्माण में होता जा रहा है जिसकी वजह से बची हुईं गैसें जल्द समाप्त हो जाएंगी। अभी लाखों साल लग जाएंगे इसको खत्म होने में।




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