पेड़ों की सूखी टहनियों में वैज्ञानिकों ने ढूंढा नया फंगस

हिमालय के जंगल में पेड़ों की सूखी टहनियों में एक नया फंगस मिला है

Update: 2022-02-01 14:34 GMT
हिमालय के जंगल में पेड़ों की सूखी टहनियों में एक नया फंगस मिला है। इस फंगस में कुछ ऐसे कंपाउंड मिले हैं, जो दवा बनाने के काम आते हैं। इस फंगस के जरिए अब बीपी, शुगर, कैंसर और पेट समेत 25 बीमारियों की दवाएं अब आसानी से बन सकेंगी। फंगस को पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू), पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) लुधियाना, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (सीयू) और क्यूबा के आईएनआईएफएफएटी के वैज्ञानिकों ने खोजा है। इस फंगस को वैज्ञानिकों ने नियोसपोरिडेस्मिना नाम दिया है। इस खोज को यूएसए के प्रसिद्ध जर्नल माइकोटैक्सॉन ने कवर पेज पर जगह दी गई है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस फंगस से सैकड़ों बीमारियों की दवाओं में प्रयोग होने वाले कंपाउंड मिल सकते हैं। इस पर फिलहाल शोध चल रहा है।
पंजाब यूनिवर्सिटी के बॉटनी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर आईबी पराशर के नेतृत्व में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना के डॉ. रजनीश कुमार, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की डॉ. सुषमा आदि हिमाचल प्रदेश से लगे हिमालय के जंगल में फंगस की खोज के लिए निकले। यह टीम छह माह से अधिक समय तक जंगलों में रही और खोज कर विभिन्न प्रकार के फंगस लेकर पीयू स्थित प्रयोगशाला पहुंची। सभी प्रकार के फंगस को यहां अलग किया गया।
एक फंगस माइक्रोस्कॉपिक (बहुत छोटे आकार का) था, जिसकी पहचान नहीं हो पा रही थी। वैज्ञानिकों ने उस फंगस की कुछ जांच की तो पता चला कि वह दुनियाभर में अब तक मिले सभी फंगस से अलग है। इस टीम ने क्यूबा के आईएनआईएफएफएटी में कार्यरत प्रसिद्ध वैज्ञानिक राफेल एफ कस्टैंडा रुइज की मदद ली। उन्होंने अपनी प्रयोगशाला में इस फंगस की जांच की। सभी वैज्ञानिकों ने इस फंगस पर तीन साल तक काम किया और शोध में पाया गया कि फंगस में कई बीमारियों की दवाओं में प्रयोग होने वाले कंपाउंड मौजूद हैं। वैज्ञानिकों ने साबित किया कि एंटी कैंसर, शरीर की गंदगी को बाहर निकालने वाली दवाएं, बीपी, शुगर की दवाओं में प्रयोग होने वाले कंपाउंड इस फंगस में मौजूद हैं। इस फंगस पर अब बड़े स्तर पर शोध चल रहा है।
ब्राउनीज ब्लैक रंग का है फंगस
वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि नियोसपोरिडेस्मिना फंगस की एक अलग जाति है। पूरी दुनिया में ऐसा फंगस कहीं नहीं पाया गया। यह फंगस पेड़ के लिए खतरनाक नहीं है। यह केवल निर्जीव पेड़ों में या पेड़ों की सूखी टहनियों में पाया गया है। इस फंगस का रंग ब्राउनीज ब्लैक है। यह जंगल के ईको सिस्टम को बनाए रखने में मदद करता है। यह अपने में अनोखा है। इस फंगस का विस्तार कहां-कहां हो सकता है, यह भी वैज्ञानिक देख रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने फंगस की नई प्रजाति भी ढूंढी
वैज्ञानिकों की इसी टीम ने हिमालय के जंगल में फंगस की एक नई प्रजाति भी ढूंढी है। इसका नाम नियोसपोरिडेस्मिमा हिमाचलेंस रखा गया है। इस फंगस के क्या-क्या लाभ होंगे। इस पर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। प्रो. पराशर हिमालय के जंगलों से अब तक 100 से अधिक फंगस की प्रजातियां ढूंढ चुके हैं। लगभग तीन दशक के बाद उन्हें एक नया फंगस मिला, जिसके कारण वह रातोंरात प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की सूची में शामिल हो गए। दिसंबर 2021 में यूएसए के प्रसिद्ध जर्नल में इस शोध को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है।
क्या होता है पेड़ों का फंगस
फंगस को फफूंद या कवक भी कहते हैं। यह एक प्रकार के जीवों का विशाल समूह है, जो अपना भोजन सड़े गले मृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। पेड़ों पर भी इसका प्रभाव होता है। सबसे खतरनाक फंगस पेड़ के जड़ों में लगते हैं, जो पेड़ की सभी क्रियाओं को बाधित कर देते हैं। एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक यह कुछ समय में ही पहुंच जाते हैं और धीरे-धीरे पेड़ को सुखा देते हैं। यह पेड़ के लिए एक प्रकार का रोग है।
हिमालय के जंगल से एक नया फंगस मिला है, जो अब तक दुनिया में कहीं नहीं पाया गया था। इस फंगस में कई ऐसे कंपाउंड मिले हैं जो दवाओं में प्रयोग होंगे। इस पर बड़े स्तर पर शोध चल रहा है। टीम को यह बड़ी कामयाबी मिली है। यही कारण है कि यूएसए के प्रसिद्ध जर्नल माइकोटैक्सॉन के कवर पेज पर इसे स्थान दिया गया है। -प्रो. आईबी पराशर, प्रसिद्ध वैज्ञानिक, बॉटनी विभाग, पीयू
Tags:    

Similar News

-->