हिमालय में पर्पल बुरांश ने वैज्ञानिक हुए दंग, अब करेंगे शोध

उच्च हिमालयी क्षेत्र में मानव आवाजाही के थमने से लगातार प्रकृति की बदली तस्वीर सामने आ रही है

Update: 2021-07-05 16:39 GMT

उच्च हिमालयी क्षेत्र में मानव आवाजाही के थमने से लगातार प्रकृति की बदली तस्वीर सामने आ रही है। मद्महेश्वर क्षेत्र में जून और जुलाई में खिले सफेद, नीले बुरांश (पर्पल) और ब्लू पॉपी तो शोध का विषय बन गया है। केदानाथ वन प्रभाग की टीम मद्महेश्वर में प्रकृति की बदली तस्वीर से हैरान हो गई। वन विभाग का मानना है कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए यहां खिले बुरांश के फूल और ब्लू पॉपी वैज्ञानिकों के लिए शोध करने लायक है। सामान्य तौर पर मई और जून के महीने में केदारनाथ, मद्महेश्वर और तुंगनाथ घाटी में यात्रा सीजन के चलते बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की आवाजाही होती रहती है, किंतु बीते 2020 से लेकर वर्तमान तक कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा बंद है। इन मार्गों पर मानव आवाजाही एक तरह से थम चुकी है जिससे प्रकृति में हर महीने और सीजन में नए बदलाव दिख रहे हैं। समुद्रसतह से करीब 3500 मीटर पर सफेद, नीले बुरांश खिले हैं। जबकि ब्लू पॉपी जैसा नारकोटिक्स के अच्छे और सुंदर फूल खिले हैं। ब्लू पॉपी संरक्षण प्रजाति का पौधा है। इसकी अर्तराष्ट्रीय मार्केट में बड़ी मांग है।

केदारनाथ में दिखा मोनाल: केदारनाथ धाम में जून और जुलाई में मोनाल नहीं दिखती है। इसका अहम कारण यात्रा मार्ग पर मानव एवं घोड़ा खच्चरों के साथ ही हेलीकॉप्टरों की आवाज है। लम्बे समय से यहां मानव आवाजाही नहीं है। शनिवार को यहां मोनाल शांत और चित्त मन से विचरण करता दिखाई दी।
मद्महेश्वर से लौटी वन विभाग की टीम को मंदिर से सौ मीटर ऊपर पर्पल बुरांश और ब्लू पॉपी के फूल दिखाई दिए। इस सीजन में अक्सर सामान्य फूल तो खिलते हैं किंतु बुरांश और ब्लू पॉपी खिलना प्रकृति के लिए शुभ संकते हैं। साथ ही यह वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का विषय भी है।
अमित कंवर, डीएफओ केदारनाथ वन प्रभाग
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