जज्बे को सलाम: लोगों के लिए मिसाल बनी ये महिला, ट्रकों के पंचर बनाकर चलती थी परिवार
दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जिनके जीवन में कई सारी कठिनाइयां होती हैं. कुछ लोग कठिनाइयों के सामने घुटने टेक देते हैं, तो कुछ लोग उससे लड़कर जीवन में आगे बढ़ते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जिनके जीवन में कई सारी कठिनाइयां होती हैं. कुछ लोग कठिनाइयों के सामने घुटने टेक देते हैं, तो कुछ लोग उससे लड़कर जीवन में आगे बढ़ते हैं. आज हम आपको अपनी खास पेशकर 'जज्बे को सलाम' में एक ऐसी ही महिला से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने ना केवल कठिनाइयों का सामना किया बल्कि उससे लड़कर आगे निकली और एक अलग मुकाम हासिल की है. आलम ये है कि लोग आज उस महिला की तारीफें करते नहीं थक रहे हैं.
कहते हैं महिलाओं के जीवन में कई सारी चुनौतियां होती हैं. बचपन से लेकर बुढ़ापे तक उनके ऊपर काफी जिम्मेदारियां भी होती हैं. तेलंगाना के कोथागुडेम जिले स्थित सुजातानगर की रहने वाली 30 साल की आदिलक्ष्मी की कहानी भी कुछ ऐसी है. आदिलक्ष्मी का जीवन काफी गरीबी से गुजरा है. मां-बाप ने आदिलक्ष्मी की जल्द शादी करा दी. पति भी कुछ खास नहीं कमाता था. इधर, आदिलक्ष्मी दो बच्चों की मां भी बन गई. लेकिन, कहते हैं ना कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
तकरीबन तीन साल पहले आदिलक्ष्मी के पति ने तीन साल पहले एक रिपेयर शॉप खोली. दुकान खोलने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. लिहाजा, घर को गिरवी रख दिया. आदिलक्ष्मी खुद दुकान पर बैठने लगी और काम करना शुरू कर दिया. शुरुआत में आदिलक्ष्मी को काफी दिक्कतें हुईं. लोग उनके पास आने से कतराते थे. दरअसल, लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि आदिलक्ष्मी सही से काम कर पाएंगी कि नहीं? लेकिन, धीरे-धीरे लोग दुकान पर पहुंचने लगे और आदिलक्ष्मी का काम बढ़ने लगा. आलम ये है कि आदिलक्ष्मी आज भारी-भरकम पहियों को भी दुरुस्त कर देती है. आदिलक्ष्मी के पति वीरभद्रम भी इसमें उनका पूरा सहयोग करते हैं. इतना ही नहीं दुकान के अलावा आदिलक्ष्मी अपनी दो बेटियों की देखभाल भी काफी अच्छे से करती हैं. आदिलक्ष्मी का कहना है कि वह इतनी मेहनत इसलिए करती हैं ताकि उनका जीवन सुधर सके.