रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए, 78 हजार घंटे तक रखी गई नजर...

वैसे चिम्पैंजियों को हम इंसानों का पूर्वज ही माना जाता है। कई मायनों में इनके व्यवहार भी हम मनुष्यों की ही तरह पाए गए हैं।

Update: 2020-10-25 12:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| वैसे चिम्पैंजियों को हम इंसानों का पूर्वज ही माना जाता है। कई मायनों में इनके व्यवहार भी हम मनुष्यों की ही तरह पाए गए हैं। अब एक लंबे समय तक की गई रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।

78 हजार घंटे तक रखी गई नजर

अमेरिका के एक साइंस जर्नल में छपी रिपोर्ट में चिम्पैंजी के व्यवहार के बारे में कई बातें सामने आई हैं। अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की जंतु मनोविज्ञानी अलेक्जांड्रा रोसाती के नेतृत्व में हुई रिसर्च से जानवरों में उम्र के साथ सामाजिक चयन को दिखाने वाला पहला सबूत मिला है। इससे इंसान के रवैये को समझने में मदद मिलती है। रिसर्चरों ने इसके लिए यूगांडा के किबाले नेशनल पार्क में 78,000 घंटे तक जीवों पर नजर रख कर भारी मात्रा में आंकड़े जुटाए। रिसर्च के लिए यह निगरानी साल 1995 से 2016 के बीच की गई। इस दौरान डेटा भी कलेक्ट किए जाते रहे।


15 से 58 साल तक के चिम्पैंजियों को किया गया टारगेट

उन्होंने 21 नर चिम्पैंजियों के व्यवहार का अध्ययन किया, इनकी उम्र 15 से 58 साल के बीच थी। इस काम के लिए नर को इसलिए चुना गया क्योंकि आमतौर पर वो उसी समूह में रहते हैं जिनमें उनका जन्म होता है। मादा चिम्पैंजी यौन रूप से व्यस्क होने के बाद दूसरे समूहों में चली जाती हैं। मानव के करीबी रिश्तेदार होने के अलावा एक और वजह है जिसके कारण चिम्पैंजियों को इस काम के लिए चुना गया। वो कारण था उनकी लंबी उम्र का होना। आमतौर पर वे 60 साल से ज्यादा उम्र तक जीवित रहते हैं और अलग अलग दौर में उनके पास मित्र बनाने के लिए कई विकल्प होते हैं। 


चिम्पैंजी की दोस्ती का मतलब

नर चिम्पैंजी एक दूसरे के साथ सीखते हैं। शिकार करते हैं और खाना भी बांट कर खाते हैं। ये चिम्पैंजी सामूहिक रूप से अपने इलाके की पहरेदारी के लिए गश्त लगाते हैं और अपने समूह में उच्च पद पाने के लिए इंसानों की तरह गठजोड़ भी करते हैं। एक दूसरे के साथ उनके मेल मिलाप को समझने के लिए टीम ने एक "एसोसिएशन इंडेक्स" बनाया। इसमें यह देखा गया कि किसी एक पार्टी में कोई नर कितनी बार दूसरे के साथ रहता है और फिर ये दोनों समूह के बाकी सदस्यों के साथ कैसे रहते हैं।


तीन वर्ग में किया गया रिसर्च

रिसर्चरों ने चिम्पैंजियों पर रिसर्च के लिए तीन वर्ग तैयार किए। एक वर्ग आपसी दोस्तों का है जिसमें दोनों दोस्ती करना चाहते हैं और साथ में उठते बैठते हैं। दूसरा वर्ग एकतरफा दोस्तों का है जिसमें एक तो दोस्ती चाहता है लेकिन दूसरा नहीं और तीसरा वर्ग है ऐसे चिम्पैंजियों का जो एक दूसरे से दोस्ती नहीं चाहते। इस तरह से वर्गीकरण करके रिसर्च की गई। 


उम्रदराज नर चिम्पैंजियों के पास ज्यादा मित्र

रिसर्च में पता चला है कि युवाओं की तुलना में उम्रदराज नर चिम्पैंजियों के पास ज्यादा दोस्त होते हैं। उदाहरण के लिए 40 साल के नर के पास किसी 15 साल के नर की तुलना में तीन गुना ज्यादा और गहरे दोस्त थे। 35 साल से ज्यादा उम्र के नर अपने सच्चे दोस्तों को ट्रेंड करते हैं। उम्र बढ़ने के साथ अपने समूह के दूसरे सदस्यों के साथ भी मारपीट, झगड़े, एक दूसरे को काटने या उन पर हमला करने जैसा व्यवहार कम होता जाता है। इसके बाद आखिर वो दौर आता है जब वो ज्यादा समय अपने आप में बिताने लगते हैं और उस समय वो सिर्फ अपने खास दोस्तों का ही साथ चाहते हैं। 

मानवों के व्यवहार के समान ही रिसर्च रिपोर्ट

रिसर्च रिपोर्ट के नतीजे बहुत हद तक मानवों के व्यवहार के समान ही है। उम्र बढ़ने के साथ इंसान भी नए दोस्त बनाने से बचने लगता है और अपना ज्यादा वक्त पुराने दोस्तों के साथ ही गुजारता है। सैद्धांतिक रूप से माना जाता है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ इंसान को अपनी मृत्यु के पास आने का अहसास होने लगता है। मजबूत दोस्ती चिम्पैंजियों को ढलती उम्र और गिरते सामाजिक दर्जे के बावजूद खुश रहने में मदद करती है।


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