रेलवे स्टेशन, जिसका नहीं है कोई नाम, बेहद रोचक इसके पीछे की वजह

भारतीय रेल एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इतना ही नहीं एकल सरकारी स्वामित्व के मामले में भारतीय रेल विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है

Update: 2021-07-13 08:23 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय रेल एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इतना ही नहीं एकल सरकारी स्वामित्व के मामले में भारतीय रेल विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। भारत में कुल रेलवे स्टेशन की संख्या 8000 के करीब है। कई ऐसे रेलवे स्टेशन हैं, जो कुछ वजहों से काफी मशहूर हैं। हमारे देश में हर रेलवे स्टेशन का अपना एक नाम और स्टेशन कोड होता है, जिससे उसकी पहचान होती है। लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसे अनोखे रेलवे स्टेशन के बारे में बताएंगे, जिसकी अपनी कोई पहचान ही नहीं है। इस स्टेशन का कोई नाम नहीं है।

इस बात को जानकर आपको हैरानी भी हो रही होगी कि भला ऐसे कैसे हो सकता है। तो आपको बता दें कि यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल में स्थित है, जिसका अपना कोई नाम नहीं है। यह स्टेशन पश्चिम बंगाल के बर्धमान से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बांकुरा-मैसग्राम रेल लाइन पर स्थित यह स्टेशन दो गांवों रैना और रैनागढ़ के बीच में पड़ता है। शुरुआत में इस स्टेशन को रैनागढ़ के नाम से जाना जाता था। रैना गांव के लोगों को यह बात पसंद नहीं आई। क्योंकि इस स्टेशन की बिल्डिंग का निर्माण रैना गांव की जमीन पर किया गया था।

रैना गांव के लोगों का मानना था कि इस स्टेशन का नाम रैनागढ़ की जगह रैना होना चाहिए। इस बात को लेकर दोनों गांव वालों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। अब स्टेशन के नाम को लेकर शरू हुआ झगड़ा रेलवे बोर्ड तक पहुंच चुका है।

झगड़े के बाद भारतीय रेलवे ने यहां लगे सभी साइन बोर्ड्स से स्टेशन का नाम मिटा दिया, जिसके बाहर से आने वाले यात्रियों का काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

स्टेशन का अपना कोई नाम नहीं होने के वजह से यात्रियों को बहुत परेशानी होती है। हालांकि, रेलवे अभी भी स्टेशन के लिए टिकट इसके पुराने नाम रैनागढ़ से ही जारी करती है।


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