इस मंदिर में जाने से डरते हैं लोग, बड़ी रोचक इसके पीछे की कहानी

हमारा भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां आपको रंग, जाति, धर्म, भाषा अनेक स्तरों पर अलग अलग लोग देखने को मिलेंगे

Update: 2021-09-19 10:07 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमारा भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां आपको रंग, जाति, धर्म, भाषा अनेक स्तरों पर अलग अलग लोग देखने को मिलेंगे, पर जो चीज इन सभी को एक करती है। वह है भारत की सांस्कृतिक विरासत, जो अनेकता में एकता के विश्वास पर कायम है। यही एक बड़ी वजह है जिसके चलते कई हिंदू, दरगाह पर चादर चढ़ाने जाता है, तो कई मुस्लिम भाई हिंदू के मंदिरों में प्रसाद भी चढ़ाते हैं। भारत में अनेकों मंदिर हैं जहां पर विभिन्न धर्म और संप्रदाय के लोग श्रद्धा के साथ भगवान के दर्शन करने जाते हैं। क्या आपको पता है कि हमारे देश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां लोग जाने से डरते हैं। इस मंदिर का नाम किराडू है। इसको लेकर कई मान्यताएं है, जिसके चलते सूरज डूबने के बाद मंदिर के आस-पास कोई नहीं दिखता। इसी कारण से इस रहस्यमयी मंदिर की चर्चा देश दुनिया में की जाती है। इसी सिलसिले में आइए जानते हैं किराडू मंदिर के रहस्य के बारे में - 

किराडू मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। इस मंदिर का डर लोगों के भीतर इस कदर व्याप्त है कि शाम के समय इसके आस-पास कोई नहीं भटकता। वहीं रात के समय मंदिर के परिवेश के पास दूर-दूर तक कोई नहीं दिखता है। राजस्थान के इस रहस्यमयी मंदिर की स्थापत्य कला भारत की दक्षिणी शैली में बनाई गई है। 

अगर इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो स्थानीय लोगों की मान्यता है कि कई साल पहले इस जगह पर एक सिद्ध साधु अपने शिष्यों के साथ आए थे। साधु एक दिन अपने शिष्यों को छोड़कर कहीं भ्रमण के लिए गए। उसी दौरान उनके एक शिष्य की तबियत बिगड़ गई। इसे देखते हुए बाकी शिष्यों ने स्थानीय लोगों से मदद मांगी, परंतु किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। 

बाद में जब साधु वापिस अपने आश्रम में पहुंचे तो उन्हें इस घटना के बारे में पता चला। इससे वे क्रोधित हो उठे और सभी गांव वालों को श्राप दे दिया कि सूर्यास्त के बाद सभी गांव के लोग पत्थर बन जाएंगे। हालांकि स्थानीय लोगों की मानें तो उस बीमार शिष्य की मदद गांव की एक महिला ने की थी। 

इस कारण श्राप देने से पहले साधु ने कहा था कि वो सूर्यास्त होने से पहले गांव से चली जाए और पीछे मुड़कर न देखे। हालांकि उस महिला ने साधु की इस बात को गंभीर नहीं समझा और उसने पीछे मुड़कर देख लिया। इस कारण वह भी पत्थर बन गई। इसी वजह से मंदिर से कुछ दूरी पर उस महिला की मूर्ति बनी हुई है। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते सूर्यास्त होने के बाद दूर दूर तक मंदिर के पास कोई नहीं जाता। 

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