एक ऐसा मंदिर, जहां आज भी मौजूद है समुद्र मंथन के दौरान निकला अमृत कलश

Update: 2021-07-22 06:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। समुद्र मंथन और उससे निकले अमृत कलश की बातें ना जाने हम कितने सालों से सुनते आ रहे हैं। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग इसे काफी अहम मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन की संपूर्ण प्रक्रिया सृष्टि की रचना को व्यवस्थित करने के लिए की गई थी। हालांकि, कुछ लोग इसे सिर्फ एक पौराणिक कथा मानते हैं, सच नहीं। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मुस्लिम देश इंडोनेशिया में एक ऐसा मंदिर है, जहां के बारे में कहा जाता है कि वहां आज भी वो अमृत कलश मौजूद है, जो समुद्र मंथन के दौरान निकला था।

दरअसल, हम जिस मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं, उसका नाम है 'कंडी सुकुह'। ये मंदिर मध्य और पूर्वी जावा प्रांतों की सीमा पर माउंट लावू (ऊंचाई 910 मीटर यानी 2,990 फीट)) के पश्चिमी ढलान पर स्थित है। इस प्राचीन मंदिर में एक ऐसा कलश मौजूद है, जिसमें एक द्रव्य हजारों सालों से मौजूद है।

इस मंदिर में मौजूद कलश में भरे द्रव्य को लेकर ऐसी मान्यता है कि ये अमृत है, जो अभी तक सूखा नहीं है। दरअसल, साल 2016 में इंडोनेशिया के पुरातत्व विभाग द्वारा इस मंदिर की मरम्मत का काम चल रहा था, तभी विशेषज्ञों को मंदिर की दीवार की नींव से एक तांबे का कलश मिला, जिसके ऊपर एक पारदर्शी शिवलिंग स्थापित था और कलश के भीतर कोई द्रव्य भरा हुआ था।

शोध में पता चला कि तांबे के उस कलश को इस तरह से जोड़ा गया था कि उसे कोई खोल न सके। एक और बात जो सबसे हैरान करने वाली थी, वो ये कि जिस दीवार की नींव से वो कलश मिला था, उसपर समुद्र-मंथन की नक्काशी थी और महाभारत के आदिपर्व का वर्णन किया गया था।

ऐसा माना जाता है कि तांबे का वो कलश 1000 ईसा. पूर्व का है, जबकि मंदिर 1437 ईसा. पूर्व के आसपास बनाया गया था।

आपको बता दें कि एक समय ऐसा था, जब इंडोनेशिया हिंदू राष्ट्र हुआ करता था, लेकिन 15वीं सदी में जब इस्लाम का वर्चस्व हुआ, तो इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया। माना जाता है कि उसी समय तांबे के उस कलश को इस मंदिर में छुपा दिया गया होगा।


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