नासा ब्लूपर्स वीडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल, चांद पर जाकर Moon Walk नहीं कर पाए Astronauts

Update: 2022-06-10 04:17 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Astronauts Moon Walk: आखिरी मून लैंडिंग 1972 में हुई थी. 12 दिन के अपोलो 17 मिशन (Apollo 17 Mission) में अंतरिक्ष यात्रियों ने बहुत सारे नमूने वापस लाए, और चांद की बहुत सारी सतह का भी पता लगाया. सोशल मीडिया पर अब एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि अंतरिक्ष यात्रियों ने जब चांद पर कदम रखे तो कैसे उनके पैर डगमगा गए थे. ब्लूपर वीडियो को देखकर लोगों के तरह-तरह के रिएक्शन आ रहे हैं. @konstructivizm नाम के अकाउंट ने वीडियो पोस्ट किया है जिसमें दिखाया गया है कि कई अंतरिक्ष यात्री चांद पर अपने स्पेस सूट में चल रहे हैं और कई बार तो पैर लड़खड़ाने की वजह से गिर भी गए.

नासा ब्लूपर्स वीडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल
वीडियो के कैप्शन में लिखा, 'NASA के ब्लूपर्स वीडियो जिसमें कई अंतरिक्ष यात्री चांद पर चलते-चलते गिर जा रहे हैं.' वीडियो को ट्विटर पर 350,000 से अधिक बार देखा जा चुका है क्योंकि इसे कई सोशल मीडिया यूजर्स ने शेयर किया और इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. हालांकि, कुछ यूजर्स ने वीडियो देखने के बाद मजाक भी बनाया. कुछ लोगों ने तो दिवंगत सिंगर माइकल जैक्सन का मशहूर डांस स्टेप 'मूनवॉक' से तुलना की और हंसी की. एक यूजर ने लिखा, 'ऐसा तब होता है जब आप नहीं जानते कि मूनवॉक कैसे किया जाता है.' एक अन्य यूजर ने अंतरिक्ष यात्रियों के स्पेस सूट का जिक्र करते हुए लिखा, 'एस्ट्रोनॉट सोच रहे होंगे कि मून वॉक करते वक्त मेरा सूट न फटे.'
देखें वीडियो-
कुछ इस तरह का वीडियो आनंद महिंद्रा ने किया था शेयर
उद्योगपति आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) ने कुछ दिन पहले अंतरिक्ष का एक वीडियो शेयर किया था, जो काफी वायरल हुआ था. इसमें एक अंतरिक्ष यात्री को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर काम करते वक्त अंतरिक्ष में उड़ते हुए दिखाया. महिंद्रा ने लिखा, 'यह देखकर बेहद ही मंत्रमुग्ध हो गया. सचमुच एक आउट-ऑफ-द-वर्ल्ड बैले की तरह. मैं अपना सप्ताह यह मानते हुए शुरू करना चाहता हूं कि मेरा काम उतना ही महत्वपूर्ण और उतना ही आकर्षक होने वाला है, क्योंकि इस अंतरिक्ष यात्री का काम #MondayMotivation है.'
वंडर ऑफ साइंस के अनुसार, वीडियो को 21 जुलाई, 2020 को एक स्पेसवॉक के दौरान आईएसएस के बाहर स्थित निकेल-हाइड्रोजन बैटरी को नई लिथियम-आयन बैटरी से बदलने के लिए कैप्चर किया गया था.


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