सबसे महंगा तलाक: बेटे द्वारा मां को दिए जाएंगे 760 करोड़ रुपये, जानिए जरा हटके मामला

Update: 2021-04-26 09:10 GMT

तलाक के कई मामले सामने आते रहते हैं जिसमें कभी एक पक्ष को तो कभी दूसरे पक्ष को ढेर सारा पैसा देता है. ब्रिटेन से तलाक का ऐसा मामला सामने आया है जहां एक पति-पत्नी के बीच तलाक के झगड़े में बेटे द्वारा मां को करीब 760 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. यह ब्रिटेन का सबसे महंगा तलाक बताया जा रहा है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला लंदन की एक कोर्ट ने सुनाया है. यह पूरा मामला लंदन के ही फरहाद- तातियाना नामक दंपति और उनके बेटे तैमूर से जुड़ा है. अपने फैसले में जज ने आरोपी बेटे को बेईमान बताया, जो अपने पिता की सहायता के लिए कुछ भी कर सकता है.
क्या है पूरा मामला: दरअसल, तैमूर चाहता था कि पिता की संपत्ति में हिस्सा न बंटे और मां को तलाक के समय मुआवजा अधिक ना मिल सके. रिपोर्ट के मुताबिक, जज ने अपने आदेश में कहा कि अरबपति फरहाद के बेटे तैमूर ने अपने पिता की संपत्तियों को छिपाया है.
पैसे छिपाने के आरोप पर तैमूर ने बताया था कि उसने कॉलेज छात्र रहने के दौरान व्यापार किया, जिसमें उसे घाटा हुआ. उसने दलील दी कि वह अपने पिता के इन पैसों को अपनी मां से नहीं छिपा रहा था, बल्कि व्यापार करने के दौरान उसे इन पैसों का नुकसान हुआ था.
अपने आदेश में जज ने कहा कि तैमूर अपनी मां को वैवाहिक संपत्ति का एक भी पैसा लेने से कैसे रोक सकता है. जज ने तैमूर की मां तातियाना का भी पक्ष जानना चाहा. वह चाहती थीं कि तलाक के दौरान मिलने वाली संपत्ति में लंदन का लग्जरी अपार्टमेंट भी उन्हीं को ही मिले. हालांकि वो उसके बदले में पैसा भी लेने को तैयार थीं.
अंत में जज ने अपना फैसला सुना दिया. जज ने आदेश दिया कि तैमूर अपनी मां को अब 100 मिलियन डॉलर यानी करीब 760 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा.
कैसे बढ़ा यह पारिवारिक विवाद: रिपोर्ट के मुताबिक, तैमूर के पिता फरहाद का जन्म अजरबैजान में हुआ था. फरहाद ने नवंबर 2012 में 1.4 अरब डॉलर में रूसी गैस उत्पादक में अपनी हिस्सेदारी को बेचकर इतनी बड़ी संपत्ति खड़ी की. हालांकि, उसने पत्नी को तलाक देने बाद भुगतान के रूप में एक भी पैसा देने से इनकार कर दिया था.
तलाक के बाद जब तातियान को कुछ नहीं मिला तो उसने केस दर्ज कराया. इतना ही नहीं उसने कम से कम 6 देशों में उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया. इसके बाद लंदन की अदालत ने यह फैसला सुनाया. हालांकि फरहाद ने कोर्ट के फैसले को गलत और गुमराह करने वाला बताया है.


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