जानिए क्यों दुनियाभर के राष्ट्रीय झंडों में नहीं होता है बैंगनी कलर

आपने कई देशाें के झंडे देखे होंगे लेकिन क्‍या बैंगनी रंग का फ्लैग देखा है

Update: 2021-12-21 11:24 GMT
आपने कई देशाें के झंडे देखे होंगे लेकिन क्‍या बैंगनी रंग का फ्लैग देखा है. राष्‍ट्रीय झंडे के मामले में यह रंग दुर्लभ माना जाता है. दुनियाभर में मात्र दो ऐसे देश हैं जिनके राष्‍ट्रीय झंडे में बैंगनी रंग का प्रयोग किया गया है. इनमें डॉमिनिका और निकारागुआ शामिल हैं. वर्ल्‍डएटलस की रिपोर्ट की मुताबिक, एक दौर ऐसा था जब इस रंग को दुर्लभ माना जाता था. इसे सोने से भी ज्‍यादा महंगा माना जाता था.    
बैंगनी रंग महंगे होने की वजह थी समुद्री घोंघा. लेबनान के छोटे समुद्री घोघे से बैंगनी रंग को तैयार किया जाता था. यह रंग इतना दुर्लभ क्‍यों था, इसे ऐसे समझा जा सकता है कि एक ग्राम बैंगनी रंग बनाने के लिए 10 हजार से अध‍िक घोंघे मारे जाते थे. इसके बाद ही रंग तैयार होता था. 1 पाउंड बैंगनी डाई खरीदने का खर्च 41 लाख रुपये से ज्यादा था. इसलिए राष्‍ट्रीय झंडों को तैयार करने पर इस रंग का इस्‍तेमाल नहीं किया जाता था.
बैंगनी रंग को लेकर एक बहुत दिलचस्‍प किस्‍सा भी है. दरअसल, 1800 के दौर में बैंगनी रंग को खरीदना अमीरों का शौक कहा जाता था. यही वजह थी ब्र‍िटेन की महारानी क्‍वीन एलिजाबेथ ने इसको लेकर एक बड़ी घोषणा कर दी थी. घोषणा के मुताबिक, शाही परिवार के अलावा किसी को भी बैंगनी रंग पहनने की इजाजत नहीं थी. इस वजह से भी यह आम लोगों से दूर बना रहा.
वर्ल्‍डएटलस की रिपोर्ट की मुताबिक, दुनिया के 195 देशों में से डॉमिनिका और निकारागुआ ही ऐसे देश हैं जिनके झंडे में बैंगनी रंग दिखता है. डॉमिनिका (Dominica) ने नेशनल फ्लैग को साल 1978 में अपनाया था. वहीं, निकारागुआ (Nicaragua) ने1908 में राष्‍ट्रीय ध्‍वज की घोषणा की थी.
जब बैंगनी रंग इतना महंगा था तो फिर आम लोगों तक कैसे पहुंचा, इसकी वजह भी जान लीजिए. इसे आम लोगों तक पहुंचाने का श्रेय विलियन हेनरी पर्किन को जाता था. 1856 में विलियन हेनरी सिंथेटिक बैंगनी डाई बनाने में कामयाब हो गए. इसके बाद इस रंग की कीमत और लागत में कमी आई. धीरे-धीरे बैंगनी रंग आम लोगों की लाइफस्‍टाइल का हिस्‍सा बन गया.
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