जानिए खूशबु के लिए लगाए जाने वाला परफ्यूम और इत्र कब हुआ था शुरू
इत्र और परफ्यूम, नाम सुनते ही दिमाग में एक खुशबू तैर जाती है न
इत्र और परफ्यूम, नाम सुनते ही दिमाग में एक खुशबू तैर जाती है न? अगर कोई तगड़ा वाला परफ्यूम लगाकर आपके बगल से गुजरता है तो खुद-ब खुद आपका ध्यान उसकी तरफ चला जाता है. गर्मियों में तो इसकी डिमांड बढ़ जाती है. लोग पसीने की दुर्गंध से राहत के लिए इत्र या परफ्यूम का इस्तेमाल करते हैं. अब जिस परफ्यूम को आप हर दिन लगाते हैं, तो ये भी जानते ही होंगे कि इसकी शुरुआत कहां से हुई थी. क्या नहीं जानते हैं? कोई बात नहीं हम बता देते हैं साथ ही ये भी बता देंगे कि इत्र और परफ्यूम में अंतर क्या है.
परफ्यूम एक फ्रेंच शब्द है और इत्र फारसी. परफ्यूम लेटिन भाषा के शब्द "Per Fumus" से बना है. जिसका मतलब होता है. धुएं से निकलता हुआ. फारसी शब्द अत्र से बना है इत्र, जिसका मतलब होता है प्राकृतिक, पेड़-पौधोंल और फूलों से बना सुगंध वाला तेल. बताया जाता है कि जिससे इत्र पहली बार बना था, उन जड़ी-बूटियों को चरवाहों द्वारा खोजा गया था. जिसे जब जलाया गया तो सुगंध निकली और बाद में आगे चलकर इसे इत्र के रूप में पहचान मिली.
परफ्यूम शब्द का पहली बार इस्तेमाल करीब 400 साल पहले मेंकिया में किया गया था. इतिहास के जानकार मानते हैं कि मेसोपोटामिया के बाद परफ्यूम बनाने की तकनीक फारसियों के हाथ लगी थी. फारसियों ने ही इसे विकसित किया और लंबे समय तक उनका एकाधिकार इसपर बना रहा. बाद में परफ्यूम बनाने की कला ग्रीक और रोमन साम्राज्य के पास पहुंची थी.
भारत में परफ्यूम
भारत में परफ्यूम के होने का आधार सिंधु घाटी सभ्यता से माना जाता है. यहां तक कि इसका इत्र का जिक्र आयुर्वेद के जनक माने जाने वाले चरक की संहिता में भी मिलता है. भारत का कन्नौज भी इत्र के लिए दुनिया भर में जाना जाता रहा है. बताया जाता है कि 7वीं शताब्दी में कन्नौज में इसकी शुरुआत हुई थी.
वर्तमान में हैदराबाद इत्र के लिए मशहूर है. पहली बार 1190 में पेरिस में परफ्यूम को व्यापार के तौर पर बनाने की शुरुआत हुई थी. आधुनिक परफ्यूम की शुरुआत यहीं से मानी जाती है.
डिओडोरेंट, इत्र और परफ्यूम
इत्र और परफ्यूम में अंतर की बात करें तो इत्र की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसको सीधे शरीर पर छिड़का जा सकता है. मगर परफ्यूम सीधे शरीर पर नहीं लगाया जा सकता. ऐसा करने से साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं. इत्र लंबे समय तक रहता है और शरीर की गर्मी के साथ इसकी खुशबू भी तेज होती है. एक डिओडोरेंट में आमतौर पर खुशबू वाले तेल और हल्का अल्कोहल का 10 से 15 फीसदी घोल होता है, वहीं परफ्यूम में 15-25 प्रतिशत खुशबू वाला तेल होता है.