बृहस्पति ग्रह को कहा जाता है वैक्यूम क्लीनर, वैज्ञानिकों ने बताई वजह
सौरमंडल में कुल 8 ग्रह हैं, लेकिन
सौरमंडल में कुल 8 ग्रह हैं, लेकिन इन्हें जितना भी समझने की कोशिश की जाए, तो उतना ही उलझना पड़ता है। क्योंकि सभी ग्रह कुछ खास वजहों से एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। बृहस्पति ग्रह का नाम तो आपने सुना ही होगा। इस ग्रह को हमारे देश भारत में 'गुरु' के नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इस ग्रह को 'जुपिटर' के नाम से जाना जाता है। बता दें कि जुपिटर रोमन सभ्यता के एक पौराणिक देवता का नाम है। आज हम आपको इस ग्रह से जुड़ी कई रोचक बाते बताएंगे।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बृहस्पति ग्रह पर कोई धरातल नहीं है। यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और हमेशा अमोनिया क्रिस्टल और संभवतः अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड के बादलों से ढंका हुआ रहता है। ऐसे में इस ग्रह पर जीवन की कोई संभावना नहीं है।
'द ग्रेट रेड स्पॉट' बृहस्पति ग्रह की सबसे रोचक और रहस्यमय चीज है। दरअसल, ये एक तरह का तुफान है, जो लाल धब्बे की तरह दिखाई देता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस ग्रह पर सैकड़ों सालों से एक तूफान लगातार चल रहा है और यह इतना बड़ा है कि उसमें आराम से पृथ्वी जैसे तीन ग्रह समा जाएं। हालांकि, वैज्ञानिकों के पास इस बात का जवाब नहीं है कि यह तूफान कैसे और क्यों चल रहा है?
बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का 'वैक्यूम क्लीनर' भी कहा जाता है। दरअसल, इसका अपना एक शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल है, जिसकी मदद से वह सौरमंडल में आने वाले बाहरी उल्कापिंडों को अपनी ओर खींच लेता है। अगर ऐसा नहीं होता तो शायद वो उल्कापिंड पृथ्वी या अन्य ग्रहों से भी टकरा जाते, जिससे भारी तबाही होती।
पृथ्वी पर तो एक दिन में कुल 24 घंटे होते हैं, लेकिन बृहस्पति ग्रह पर एक दिन मात्र नौ घंटा और 55 मिनट का ही होता है। इतना ही नहीं पृथ्वी के 11.9 साल में बृहस्पति ग्रह का मात्र एक साल होता है, जो बेहद ही हैरान करने वाली बात है।