थाईलैंड में दिया जाता है , सैनिको को जहरीले साँपो को खाने की ट्रेनिंग
थाईलैंड में हर साल दुनियाभर के सैनिक कोबरा गोल्ड एक्सरसाइज में भाग लेने के लिए पहुंचते हैं। इस एक्सरसाइज के माध्यम से सैनिक असामान्य हालातों में भी खुद को जिंदा रखने के तरीके जानते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। थाईलैंड में हर साल दुनियाभर के सैनिक कोबरा गोल्ड एक्सरसाइज में भाग लेने के लिए पहुंचते हैं। इस एक्सरसाइज के माध्यम से सैनिक असामान्य हालातों में भी खुद को जिंदा रखने के तरीके जानते हैं। इन्हीं में से एक तरकीब के तहत सैनिक सांपों से लेकर सारे जंगली जानवरों को खाने की ट्रेनिंग लेते हैं। हालांकि, कई देश अब अपने सैनिकों से सांप-बिच्छू नहीं खाने की अपील कर रहे हैं। उन्हें इस बात का डर है कि ऐसा करने से कोरोना से भी खतरनाक वायरस फैल सकता है।
इस खास सैन्य अभ्यास के दौरान सैनिक अफसर दूसरे सैनिकों को जहरीले से जहरीले सांप को मारकर उसे विषरहित बनाकर खाने की ट्रेनिंग देते हैं। थाइलैंड और इंडोनेशिया में सांपों के खून को बेहद ताकतवर माना जाता है और उसका मांस पकाने और खून पीने का प्रशिक्षण देने के लिए एक पूरा दस्ता काम करता है। बता दें कि सैनिकों को सांप का खून पीने की भी सलाह दी जाती है।
थाइलैंड और इंडोनेशिया की तरह ही चीन में भी ट्रेडिशनल चिकित्सा के तहत सांपों का खूब इस्तेमाल होता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि चीन के जिसिकियाओ गांव में बाकायदा सांपों की खेती भी की जाती है। ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गांव में अभी लगभग 170 परिवार हैं, जो हर साल 30 लाख से ज्यादा सांपों की पैदावार करते हैं।
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी से लेकर खाई में रहते हुए वे दुश्मनों से मुकाबला करते हैं। हालांकि, दुश्मनों से मुकाबले के बीच एक और चीज भी है, जो सैनिकों की मजबूती को बताती है। सैनिक असाधारण हालातों में भी खुद को जिंदा रखने की कोशिश करते हैं। इन सब के लिए सैनिकों को विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है।
कई देश अपने सैनिकों को इस ट्रेनिंग के लिए थाइलैंड भेजते रहे हैं। थाइलैंड में कोबरा गोल्ड मिलिट्री ड्रिल आयोजित होती है। इस दौरान सैनिक कोबरा को मारकर खाते या उसका खून पीते हैं। इतना ही नहीं सैनिक सांपों के अलावा बिच्छू, छिपकली जैसे जीव भी खाना सीखते हैं। ड्रिल के दौरान सैनिकों को ये सिखाया जाता है कि कैसे जिंदा सांप को पकड़कर मारा जाए और कौन से अंग खाए जाने चाहिए।
साल 1982 से चल रही ये मिलिट्री एक्सरसाइज एशिया-पैसिफिक की सबसे बड़ी सैनिक एक्सरसाइज मानी जाती है। इस एक्सरसाइज को थाइलैंड और अमेरिका ने मिलकर शुरू किया था, जिसका हेडक्वार्टर बैंकॉक में है। साल 2016 में भारत ने भी इस सैन्य अभ्यास में पहली बार हिस्सा लिया था। वहीं चीन को इस पूरे अभ्यास के केवल एक चरण में ही जुड़ने की अनुमति मिल सकी थी।