यहाँ शादी में दूल्हे और दुल्हन के ड्रेस की होती है अदला-बदली, जानिए पूरा रहस्य
शादी में आपको दूल्हा लहंगा पहने नजर आए और दुल्हन शेरवानी में दिखाई दे. तो चौंकिए मत, दूल्हे की ड्रेस दुल्हन के पहनने की परंपरा भी भारत के एक हिस्से में चलन में है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- शादी-विवाह के लिए हर कोई खास तैयारियां करता है और दूल्हा-दुल्हन महंगे से महंगे कपड़े खरीदते हैं. लेकिन क्या हो अगर किसी शादी में आपको दूल्हा लहंगा पहने नजर आए और दुल्हन शेरवानी में दिखाई दे. तो चौंकिए मत, दूल्हे की ड्रेस दुल्हन के पहनने की परंपरा भी भारत के एक हिस्से में चलन में है. आंध्र प्रदेश के वेस्ट गोदावरी जिले में गन्नामनि समुदाय के लोग इस अनोखी प्रथा का पालन करते हैं
सदियों से चली आ रही परंपरा
Gannamani surname
वेस्ट गोदावरी जिले की यह परंपरा कोई आज की नहीं बल्कि काकतिया शासकों के काल से यहां ऐसा होता आ रहा है. शादी के एक दिन पहले दुल्हन को दूल्हे के कपड़े पहनने होते हैं और दूल्हा लड़कियों जैसा भेष बनाकर कोई साड़ी या लहंगा पहनता है. यह परंपरा भले ही अजीब है लेकिन गन्नामनि लोग इसका पूरे जोश के साथ पालन करते आ रहे हैं.
साड़ी पहनता है दूल्हा
groom in ornaments
इस प्रथा के जरिए लड़का-लड़की के भेदभाव को तोड़ने की कोशिश तो है ही, साथ ही यह हमारे देश की विविधता का भी एक अनोखा उदाहरण पेश करती है. शादी में लड़का न सिर्फ दुल्हन के कपड़े पहनता है बल्कि लड़की की तरह ही सज-धज कर तैयार होता है. इसके लिए उसे ज्वेलरी से लेकर अन्य आभूषण भी पहनने होते हैं.
दुल्हन पहनती है लड़के के कपड़े
unique Wedding Tradition
इसी तरह दुल्हन भी पेंट-शर्ट या धोती-कुर्ता में तैयार होकर समारोह में शामिल होती है. इसके अलावा वह इस दौरान जूड़ा या चोटी नहीं बांधती बल्कि लड़कों की हेयर स्टाइल बनाती है. साथ में लड़कों जैसा चश्मा पहनने का भी चलन है.
पुरुषों की छवि सुधारना था मकसद
Kakatiya dynasty
काकतिया साम्राज्य की महारानी रुद्रमा देवी के वक्त से इस परंपरा की शुरुआत हुई थी. उनके सेनापति गन्नामनि परिवार से ताल्लुक रखते थे. महारानी ने 1263 से लेकर 1289 तक साम्राज्य की सत्ता संभाली थी. इस परंपरा के पीछे का मकसद पुरुषों की छवि को दुनिया के सामने बेहतर तरीके से पेश करना था.
जंग में पहने पुरुषों के कपड़े
Andhra Pradesh Tradition
युद्ध के दौरान जब सैकड़ों सैनिकों की जान चली गई तो फैसला किया गया कि औरतें सेना में पुरुषों के कपड़े पहनकर जंग लड़ेंगी. इसके बाद यह कदम काम आया और काकतिया साम्राज्य को कई जंगों में इसका फायदा भी हुआ. साथ ही गन्नामनि परिवारों की शादियों में भी कपड़ों की अदला-बदली की यह परंपरा शुरू हो गई, जिसका आजतक पालन किया जा रहा है.