यहाँ पर पति के लिए नहीं बल्कि देवर के लिए सती हो गई थी भाभी,जानिए क्या है मामला
सती प्रथा का वर्णन राजस्थान के स्वर्णिम इतिहास में मिलता है। बता दे की, राजशाही के दौरान सती प्रथा थी। सती प्रथा का अर्थ है कि अगर किसी महिला का पति युद्ध करते हुए या असामयिक मर जाता है तो महिला अपने पति के साथ ही अपनी जान दे देती है। मगर आज मैं आपको राजस्थान की एक ऐसी घटना के बारे में बताऊंगा जो महिलाओं के स्वाभिमान को बयां करती है। बता दे की, महिलाएं सती होती थीं, मगर नागौर के आकला गांव में एक ऐसी घटना घटी कि डाकुओं से अपनी भाभी की रक्षा करते हुए जीजा ने अपनी जान दे दी, तो बहन- जीजा के लिए जीजा ने दे दी जान.हो गया
गांव के लोग कहते है कि यह घटना 500 साल पहले की है. हुआ यूं कि जीजा साली को पीहर पाबूमन से ससुराल ला रहा था। तभी अकला गांव के पास डाकुओं ने देवर भाभी को लूटने की कोशिश की. बता दे की, तब उन्होंने अपने ससुर के माध्यम से अपनी भाभी की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। मगर डाकुओं से मिन्नत करने के बाद भी डाकुओं ने जीजा को मार डाला, साली ने अपने और जीजा के स्वाभिमान को कलंकित नहीं किया। जिसके लिए अकला ने देवर की चिंता को देखते हुए गांव में ही आग लगा दी और गांव वालों से लकड़ी मांगकर चिता पर बैठ गई और भगवान का नाम लेकर आग में जल गई और भाभी देवर के पीछे सती हो गई.
क्यों की जाती है पूजा?
ग्रामीण मदनलाल का कहना है कि सती होने के बाद अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए ग्रामीणों ने मिलकर एक चबूतरा बनाया था। आपकी जानकारी के लिए बता दे की, धीरे-धीरे यहां दैवीय शक्ति मानकर पूजा-अर्चना होने लगी। यहां परिक्रमा करने वाले व्यक्ति के शरीर के मस्से ठीक हो जाते हैं।