सऊदी अरब के मक्का में हज तीर्थयात्रा शुरू, जानें कितनी कमाई कर रहा है सऊदी अरब?

Update: 2022-07-08 16:41 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आज तक 

कोरोना प्रतिबंधों की वजह से दो साल के अंतराल के बाद इस बार दुनिया भर के मुस्लिम हज के लिए सऊदी अरब पहुंचे हैं.

कोरोना की वजह से बीते दो साल 2020 और 2021 में हाजियों की संख्या सीमित कर दी गई थी. इस बार तमाम एहतियातों के साथ सात जुलाई से सऊदी अरब में हज तीर्थयात्रा शुरू हो गई.
सऊदी सरकार के लिए हज न केवल उसकी इस्लामिक दुनिया में उसकी अहमियत को दर्शाता है बल्कि इससे अरबों डॉलर की कमाई भी होती है.
इस साल हाजियों की संख्या बढ़ाकर 10 लाख तय की गई है. हालांकि, कोरोना महामारी से पहले 2019 में दुनिया भर के 25 लाख मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब गए थे. 2030 तक सऊदी अरब ने हर साल हज के लिए 67 लाख लोगों को बुलाने का लक्ष्य रखा है. वहीं, उमराह के लिए साल 2030 तक तीन करोड़ लोगों को बुलाने का लक्ष्य है. उमराह के लिए लोग पूरे साल आते रहते हैं जबकि हज के लिए तय समय होता है.
हज और उमराह मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में 58,745 लोग हज पर आए थे.
बीते दस सालों में सबसे अधिक संख्या में हाजी 2012 में हज करने पहुंचे थे. इस दौरान 31 लाख से अधिक लोग मक्का पहुंचे थे.
भारत और पाकिस्तान जैसे एशियाई देशों से सबसे अधिक 1,126,633 लोग हज पर गए थे. अफ्रीकी देशों से 187,814, यूरोप से 67,054 और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया से 26,892 लोगों ने हज यात्रा की.
मक्का चैंबर ऑफ कॉमर्स के आंकड़ों के मुताबिक, हज के लिए प्रति व्यक्ति औसतन 5,000 डॉलर से 6,500 डॉलर तक कुल खर्च होता है.
अनुमान के मुताबिक, इस राशि का 75 से 80 फीसदी हिस्सा आवास, भोजन, गिफ्ट, ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन पर खर्च किया जाता है.
इसके बाद की बची हुई राशि का इस्तेमाल मक्का और मदीना में निजी खरीदारी के लिए किया जाता है.
मक्का चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के मुताबिक, हाजी मक्का और मदीना की दस दिनों की यात्रा के दौरान औसतन 700 से 1,000 डॉलर तक खर्च करते हैं.
सबसे अधिक खर्च करने वालों में मिस्र और इराक के लोग हैं. इसके बाद बड़ी संख्या अल्जीरिया और तुर्की के हाजियों की है. हालांकि, हज के लिए सभी हाजियों का दस दिन रुकना जरूरी नहीं है
कई दशकों से हज सीजन सऊदी सरकार के लिए अरबों डॉलर का मुनाफा लेकर आता है. इस दौरान सऊदी के कई उद्योग धंधों को अच्छी कमाई करने का मौका मिल जाता है.
सऊदी एयरलाइंस, होटल, रेस्तरां, शॉपिंग मॉल्स और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर सहित कई उद्योगों को इससे फायदा होता है.
साल 2019 में हज से सऊदी सरकार सरकार को 12 अरब डॉलर से अधिक की कमाई हुई. इसमें से हज से आठ अरब डॉलर और उमराह से चार अरब डॉलर की कमाई हुई. यह कमाई सऊदी अरब की जीडीपी का सात प्रतिशत है और गैर-पेट्रोलियम जीडीपी का 20 फीसदी है. इस साल सऊदी अरब को हज से 30 अरब डॉलर की कमाई होने का अनुमान लगाया गया था.
हज के लिए मौजूदा समय में सरकार ने स्थानीय परिवहन और इन्फ्रास्ट्रक्चर में 51.2 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिससे एक लाख से अधिक रोजगारों के सृजन की उम्मीद जताई जा रही है.
मास्टरकार्ड के लेटेस्ट ग्लोबल डेस्टिनेशन सिटीज इंडेक्स के मुताबिक, 2018 में मक्का में सबसे ज्यादा टूरिस्ट पहुंचे थे, जिससे सऊदी को 20 अरब डॉलर की कमाई हुई थी.
पिछले कई दशकों से तेल से सऊदी सरकार अरबों खरबों डॉलर की कमाई कर रहा है लेकिन हर साल हाजियों की संख्या बढ़ने से सरकार अब हज से खजाना भरने की रणनीति पर काम कर रहा है.
साल 2015 में सऊदी किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज के सत्ता संभालने के बाद ही सऊदी सरकार ने 21 अरब डॉलर की एक परियोजना शुरू की थी. इस परियोजना का मकसद मक्का में ग्रैंड मस्जिद का विस्तार करना था ताकि वहां तीन लाख और अतिरिक्त हाजियों के हज करने की व्यवस्था की जा सके.
यही वह दौर था, जब उस समय डिप्टी क्राउन प्रिंस रहे मोहम्मद बिन सलमान ने समझ लिया था कि हज की कमाई से अर्थव्यवस्था में जान फूंकी जा सकती है. यही वजह है कि सऊदी सरकार के विजन 2030 में हज को खास तवज्जो दी गई है.
सऊदी अरब दुनिया भर में तेल के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है. दुनिया भर में सबसे ज्यादा मुनाफा करने वाली तेल कंपनी सऊदी अरामको सऊदी अरब में ही है. लेकिन सऊदी को तेल के मामले में कई देशों से भविष्य में टक्कर मिलने की भी चिंता है पर हज के मामले में ऐसा नहीं है.
हज यात्रा पर सऊदी अरब का एकाधिकार (Monopoly) है क्योंकि मुस्लिमों के दो पवित्र तीर्थस्थल मक्का और मदीना सऊदी में ही हैं. इस्लाम की मान्यता के अनुसार, हर मुस्लिम को अपने जीवन में कम से कम एक बार हज तीर्थयात्रा जरूर करने की बात कही गई है. ऐसे में हज सऊदी अरब के लिए कमाई का एक स्थायी स्रोत है.
अल अवामा की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने इस साल हज यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों पर टैक्स बढ़ा दिया है. कुछ देश सऊदी सरकार पर मुनाफा कमाने के लिए मनमाने ढंग से टैक्स बढ़ाने का भी आरोप लगा रहे हैं.
सऊदी सरकार के इस कदम के विरोध के सुर ट्यूनीशिया से सुनने को मिल रहे हैं. ट्यूनीशिया के इमामों के संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हज का बहिष्कार कर बचा पैसा गरीबों की भलाई करने का आह्वान किया है.
इस्लाम में हज यात्रा बेहद जरूरी मानी गई है. इसे इस्लाम के पांच स्तंभों कलमा पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात देना (दान देना) में से एक माना गया है. आर्थिक रूप से संपन्न मुस्लिमों के लिए अपने जीवन में एक बार हज पर जाना जरूरी समझा जाता है. 
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