पिता ने रिक्शा चलाकर पढ़ाया, बेटा बना IAS अधिकारी
गोविंद के जीवन पर बॉलीवुड फिल्म बन रही है। इसे ‘दिल्ली दूर नहीं है’ नाम दिया गया है। यह फिल्म 12 मई 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
पढ़ाई अमीरी-गरीबी देखकर नहीं आती। जो चाहे शिक्षा प्राप्त कर सकता है। इस बात को एक रिक्शा चालक ने हकीकत बना दिया है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के एक रिक्शा चालक ने अपने बेटे को आईएएस अफसर बनाने का मन बना लिया और दिन-रात रिक्शा चलाकर अपने बेटे को पढ़ाता रहा। पिता की मेहनत रंग लाई और बेटा बन गया आईएएस अधिकारी। हम बात कर रहे हैं आईएएस गोविंद जायसवाल (IAS Govind Jaiswal) की। तो आइए जानते हैं विस्तार से।
आईएएस गोविंद जायसवाल उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले हैं। वर्तमान में वे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में निदेशक के पद पर पदस्थापित हैं। उन्होंने बचपन से ही जीवन में काफी संघर्ष किया है। इस मुश्किल सफर में उनके पिता और बहनों ने उनका काफी साथ दिया। उनके त्याग और आशीर्वाद के बिना वे अपने जीवन में कभी भी इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते।
गोविंद जायसवाल के पिता एक रिक्शा कंपनी के मालिक थे और उनके पास 35 रिक्शा थे। गोविंद की मां ब्रेन हैमरेज की शिकार हो गई थीं। उनकी पत्नी के इलाज के लिए उनके अधिकांश रिक्शा बिक गए और वे गरीब हो गए। गोविंद जब 7वीं क्लास में थे, तब उनकी मां का देहांत हो गया। तब तक उनके पिता, गोविंद और उनकी बेटियों के साथ, काशी के अलीपुरा में 10/12 को एक सेल में शिफ्ट हो गए थे।
गोविंद यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली आए थे। उन्हें पॉकेट मनी भेजने के लिए उनके पिता सेप्टिक होने और पैर में घाव होने के बावजूद रिक्शा चलाते थे। उसने कई बार खाना नहीं खाया और न ही अपने घाव का इलाज करवाया। गोविंद भी दिल्ली जाकर कोचिंग नहीं गए। 2007 में, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के अपने पहले ही प्रयास में 48वीं रैंक हासिल की। गोविंद के जीवन पर बॉलीवुड फिल्म बन रही है। इसे ‘दिल्ली दूर नहीं है’ नाम दिया गया है। यह फिल्म 12 मई 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।