किसान रुपराम पांच साल पूर्व लगाए थे 250 पौधे, 7 साल में ऐसा मुनाफा कि उड़ जाएंगे आपके होश

राजस्थान के अलवर जिले (Alwar News) से निकली चंदन की खुशबू अब देश ही नहीं विदेशों में फैलेगी. ये सब संभव हो पाया है

Update: 2021-08-05 11:22 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजस्थान के अलवर जिले (Alwar News) से निकली चंदन की खुशबू अब देश ही नहीं विदेशों में फैलेगी. ये सब संभव हो पाया है यहां के किसानों की मेहनत की वजह से. अलवर जिले में चंदन की खेती की शुरुआत (Sandalwood cultivation) होने से किसानों को नई राह मिल गई है.

अलवर शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर हाजीपुर डडीकर गांव में रूपराम किसान ने पांच वर्ष पूर्व 550 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से करीब 250 पौधे चंदन के लगाए थे, जो आज करीब 30-30 फिट के हो चुके हैं, अभी दो साल बाद इन्हें काटा जाएगा, जिनकी कीमत करीब तीन करोड़ आंकी गई है.
किसान रुपराम पांच साल पूर्व लगाए थे 250 पौधे
हाजीपुर ढ़ड़ीकर निवासी रूपराम ने किसी के कहने पर अपनी आधा बीगा जमीन पर चंदन के पेड़ लगाए, रूपराम के बेटे ने बताया कि दौसा से पांच वर्ष पूर्व 550 रुपये के हिसाब से 250 पौधे लगाए गए थे, अभी ये पेड़ पांच साल के हो चुके हैं. इनकी ऊंचाई करीब 30 फिट पहुंच चुकी हैं, लेकिन अभी इसकी मोटाई करीब आठ इंच तक होने में करीब दो साल और लगेंगे, उसके बाद इसमें खुशबू आने लगेंगी, तब यह एक पेड़ करीब 1.5 लाख रु में बिकेगा.
बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने भी किया संपर्क
इसके लिए बाबा रामदेव की कम्पनी के प्रतिनिधि (Baba Ramdev company) ने भी सम्पर्क किया है, यानी किसान रूपराम के घर दो साल बाद चन्दन की खुशबू के साथ-साथ किस्मत भी खुलने वाली है.
बताया जा रहा है इस पौधे की देखभाल शुरुआती दौर में ज्यादा होती है. इसकी जड़ों में खुराक पहुंचाने के लिए अन्य पौधे या मेहंदी लगाई जाती है. इसकी जड़ों से निकलने वाला तेल भी करीब 60 से 70 हजार रु किलो में बिकता है और चन्दन की लकड़ी भी काफी महंगी होती है. यह करीब 5 हजार रु किलो के हिसाब से बिकती है. चन्दन का इस्तेमाल सभी प्रकार के खुशबू वाले प्रोडक्ट में किया जाता है. इसमें इत्र, तेल और साबुन (perfumes, oils and soaps) विषेश होते हैं.
बताया जाता है दुनिया में सबसे ज्यादा चन्दन आस्ट्रेलिया (Sandalwood Australia) में मिलता है. वहीं, भारत के दक्षिणी राज्यों (Southern states of India) में इसकी खेती ज्यादा होती है.
अलवर के रहने वाले किसान रूपराम पहले अपनी इस जमीन पर साल भर में मात्र बीस से तीस हजार रु कमाता था, यानी सात साल में करीब डेढ़ से दो लाख रु की आय होती थी. अब पांच वर्ष पूर्व करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च कर लगाये 250 चंदन के पेड़ सात साल में अब करीब तीन करोड़ रु में बिकने वाले हैं. रूपराम को देखकर अब अन्य आसपास के किसान भी चन्दन की खेती पर विचार कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यहां के चंदन की महक पूरी दुनिया में फैलेंगी, साथ ही अलवर का नाम चंदन की खेती में लिए भी जाना जाएगा.


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