इस गांव में पैदा होने वाला हर कुत्ता बन जाता है करोड़पति, हैरान कर देगी वजह

कुत्ता बन जाता है करोड़पति

Update: 2021-04-06 15:38 GMT

आपने इंसानों को करोड़पति बनते हुए तो जरूर देखा होगा. लेकिन, क्या आपने कभी करोड़पति कुत्तों के बारे में सुना है? यहां हम 'एंटरटेनमेंट' फिल्म वाले कुत्ते की बात नहीं कर रहे हैं. लेकिन उस रील लाइफ जैसा ही कुछ रियल लाइफ में भी है. जिसके बार में सुनकर हर कोई हैरान है.


हम बात कर रहे हैं गुजरात के मेहसाणा के पास पांचोट गांव के कुत्तों के बारे में, यहां पैदा होते ही हर कुत्ता करोड़पति बन जाता हैं. अब आपके मन में सवालों का गुब्बारा तो जरूर फूट रहा होगा कि भला गली में चलने वाला कोई आखिरकार करोड़पति कैसे बन सकता हैं? दरअसल, पिछले करीब एक दशक से जबसे मेहसाणा बाइपास बना है, इस गांव में स्थित जमीनों के दाम आसमान छूने लगे हैं और इसका सबसे बड़ा फायदा हुआ है गांव के कुत्तों को!

कुत्ते कैसे बने करोड़पति
आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव के एक ट्रस्ट 'मढ़ नी पती कुतरिया ट्रस्ट' के पास लगभग 21 बीघा जमीन है और इस जमीन से होने वाली सारी कमाई कुत्तों के नाम कर दी जाती है. इस गांव में कुत्तों को खिलाने के लिए जमीन दान करने की परंपरा है और अब इस जमीन के आगे से एक बायपास रोड बन रहा है जिसके चलते जिस भूमि की लाख रुपए कीमत भी नहीं थी, वह आज करोड़ों की लागत तक पहुंच गई है.

इन जमीनों के दाम बढ़ने के बावजूद उनके मालिकों ने कभी वापस आकर अपनी जमीन पर दावा नहीं किया, भले ही उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी रही हो. यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि जानवरों के लिए या किसी सामाजिक काम के लिए दान की हुई जमीन को वापस लेना बड़ा ही अशुभ है.

जमीन से होने वाली कमाई पर होता है कुत्तों का हक
इन जमीनों पर खेती की भी की जाती है. फसल बुआई के सीजन से पहले ट्रस्ट के हिस्से के एक प्लॉट की हर साल नीलामी की जाती है. सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले शख्स को एक साल के लिए जुताई का हक मिल जाता है. इसके साथ ही इन जमीनों पर बड़े मॉल और बाईपास के कारण जमीन की कीमतें आसमान छूने लगी और इनसे मिलने वाला सारा पैसा कुत्तों पर ही खर्च किया जाता है.

इसी गांव के निवासी नरेशभाई पटेल ने बताया कि हमने कभी जमीन नहीं बेचने की कसम खाई है. कहने का मतलब है कि यहां पैदा होने वाला हर कुत्ता लगभग करोड़ों की दौलत लेकर पैदा होगा. स्वयं निभाव समिति के अध्यक्ष छगनभाई पटेल के मुताबिक, आज के युग में जब एक भाई जमीन के एक छोटे से टुकड़े के लिए दुश्मन बन जाता है, पंचोट गांव के ग्रामीण अभी भी कुत्तों के मुआवजे के लिए कुत्तों के लिए आवंटित भूमि रखते हैं जो बेहद सरहानीय है.


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