पंजशीर को कब्जाने की हर कोशिश हुई नाकाम, जानें क्यों इसके नाम से 'कांपता' है तालिबान
पंजशीर को कब्जाने की हर कोशिश हुई नाकाम
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन का भयावह मंजर पिछले कई दिनों से देखने को मिल रहा है. स्थिति ऐसी है कि लोग एक पल भी यहां ठहरना नहीं चाह रहे. अफगानिस्तान के कोने-कोने में तालिबान की सत्ता लिखी जा चुकी है. जहां एक ओर पूरा देश तालिबान की 'जी हुजूरी' की भेंट चढ़ चुका है. वहीं, एक जगह ऐसी भी है, जहां का माहौल एकदम शांत और अहिंसक है और वह जगह नॉर्दन अलॉयंस का गढ़ 'पंजशीर घाटी' है.
अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से एक पंजशीर घाटी की खासियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां कभी तालिबान अपने पांव नहीं पसार सका है और आज भी यह घाटी उसके दंश से पूरी तरह महफूज है. 70 और 80 के दशक में सोवियत संघ ने भी इस घाटी की डोर कब्जाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. पंजशीर को 'पंजशेर' के नाम से भी जाना जाता है, जिसका मतलब 'पांच शेरों की घाटी' है.
काबुल से 150 किमी दूर स्थित इस घाटी के बीच एक नदी बहती है, जो पंजशीर नदी कहलाती है. इतना ही नहीं, पंजशीर एक प्रमुख हाईवे भी है, जिससे हिंदुकुश के दो पास का रास्ता बनता है. पन्ना खनन का बड़ा हब भी इस घाटी में तैयार हो सकता है. अमेरिका के कई प्रयासों ने इस घाटी को खूब सवारा है और इसका खूब विकास किया है. अब यहां सड़के बन चुकी है, रेडियों के टॉवर लग चुके हैं, जिससे घाटी के लोग काबुल के चैनल्स के कार्यक्रमों को सुन पाते हैं.
पंजशीर को कब्जाने की हर कोशिश हुई नाकाम
पंजशीर को कब्जाने के हर प्रयास अब तक विफल साबित हुए हैं. अमेरिका ने जब अफगानिस्तान पर बमबारी की थी, तब भी इस घाटी की आन, बान और शान में एक खरोंच तक नहीं आई थी. हालांकि इस घाटी में बिजली और पानी की सप्लाई नहीं हो पाती. लोग जनरेटर चलाकर अपना गुजर बसर करते हैं.
पंजशीर ही पूरे अफगानिस्तान का वो हिस्सा है, जहां तालिबान के खिलाफ उठती आवाज दबाई नहीं जा सकती. जब तालिबान ने साल 1996 में काबुल पर कब्जा किया था, तब नॉर्दन अलायंस का जन्म हुआ था. इसका पूरा नाम 'यूनाइटेड इस्लामिक फ्रंट फॉर द सालवेशन ऑफ अफगानिस्तान' है. नॉर्दर्न अलायंस को तालिबान के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भारत सहित ईरान, रूस, उज्बेकिस्तान, तुर्की, तजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान का सहयोग मिला है.
'हम मुकाबला करेंगे, आत्मसमर्पण नहीं'
अफगानिस्तान पर अमेरिका ने जब 9/11 के पश्चात हमला बोला था, तब अफगानिस्तान नॉर्दर्न अलायंस की ही सहायता ली थी. पंजशीर के लोगों में 'हम मुकाबला करेंगे, आत्मसमर्पण नहीं' की भावना कूट-कूटकर भरी है. एक स्थानीय का कहना है कि चाहे लाख मुश्किलें आ जाएं, मगर पंजशीर के लोग अपने घुटने नहीं टेकेंगे और ना ही आतंकियों के आगे अपना सर झुकाएंगे.
हालांकि दूतावास में काम कर चुके पंजशीर के एक व्यक्ति ने कहा कि अभी फिलहाल सबकुछ शांत है, मगर पंजशीर की परिधि में तालिबान पाबंदियां लगा सकता है और जरूरी सामान की सप्लाई भी रोक सकता है, जो बहुत चिंता कि बात है. एक अधिकारी ने यह भी कहा कि पंजशीर के पास फिलहाल भोजन और मेडिकल की पर्याप्त सप्लाई है.