इस शख्स की वजह से किसी जमाने में CBI और हिंदुस्तानी हुकूमत में आया था भूचाल

CBI और हिंदुस्तानी हुकूमत में आया था भूचाल

Update: 2021-04-16 06:57 GMT

1974 बैच के पूर्व वरिष्ठ आईपीएस रंजीत सिन्हा का शुक्रवार तड़के दिल्ली में निधन हो गया. 68 साल के सिन्हा केंद्रीय जांच ब्यूरो यानि CBI के पूर्व निदेशक और भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के पूर्व महानिदेशक रह चुके थे. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक रंजीत सिन्हा ने देश की राजधानी दिल्ली में अंतिम सांस ली. उस वक्त परिजन उनके साथ थे. यह वही पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी थे जिनके चलते हिंदुस्तानी हुकूमत और सीबीआई जैसे महत्वपूर्ण महकमे में भूचाल आ गया था. उन दिनों हालात इतने बदतर हो गए कि मामले में सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट तक को ही दखल देना पड़ गया. आइए एक नजर डालते हैं ऐसे चर्चित पूर्व आईपीएस रंजीत सिन्हा की पुलिसिया जिंदगी पर…


लंबे समय तक डीजी आईटीबीपी रहने वाले रंजीत सिन्हा का आईपीएस करियर सबसे ज्यादा सीबीआई निदेशक की नौकरी के दौरान और उसके बाद विवादित रहा था. उनके सीबीआई की कुर्सी से हटते ही हालात इतने ज्यादा बदतर हो गए कि सीबीआई को उनके निवास तक पर छापा मारना पड़ गया था. वो घटना थी कोयला आवंटन मामले की जांच के दौरान की, जिसमें उनके ऊपर तमाम तरह के आरोप लगे थे. यहां तक कि जब हिंदुस्तानी हुकूमत की नाक कटने और बचाने की बात आई तो, सीबीआई को अपने ही पूर्व डायरेक्टर रंजीत सिन्हा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच तक करनी पड़ गई थी.


सीबीआई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में मुकदमा दर्ज किया था. उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने सीबीआई के डायरेक्टर पद पर रहते हुए कोयला आबंटन घोटाले की जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण स्थानों पर लापरवाही बरती. दरअसल, सिन्हा के खिलाफ सीबीआई को मामला तब दर्ज करना पड़ गया जब, उन पर लगे आरोपों को सुप्रीम कोर्ट ने भी गंभीर माना. साथ ही आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ही सीबीआई को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था.

सीबीआई ने रंजीत सिन्हा के घर का विजिटर रजिस्टर भी किया था सीज
रंजीत सिन्हा 1974 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी थे. वे सन् 2012 से लेकर 2014 तक केंद्रीय जांच ब्यूरो के सर्वेसर्वा यानि निदेशक पद पर तैनात रहे थे. सीबीआई ने मुकदमा दर्ज करने के बाद उन आरोपों की भी जांच की थी, जिनमें कहा गया था कि निदेशक सीबीआई रहते हुए सिन्हा ने, कोयला आवंटन घोटाले से जुड़े कथित आरोपियों से घर पर भी मुलाकात की. जांच के दौरान सीबीआई ने उनके घर के विजिटर रजिस्टर को भी सीज कर लिया था. उस मुकदमे और जांच के खिलाफ मतलब राहत पाने के लिए, रंजीत सिन्हा खुद भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. हालांकि तब सिन्हा को सुप्रीम कोर्ट से कोई विशेष राहत हासिल नहीं हो सकी थी. लिहाजा सीबीआई अपनी जांच को निरंतर आगे बढ़ाती गई.

बिहार में जन्मे रंजीत सिन्हा
सीबीआई के मुखिया का दिल्ली में पद संभालने से पहले रंजीत सिन्हा सीबीआई में ही कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी तैनात रह चुके थे. उनके उसी अनुभव के आधार पर तब की हिंदुस्तानी हुकूमत ने उन्हें सीबीआई डायरेक्टर की कुर्सी सौंपी थी. सन् 1952 में बिहार में जन्मे रंजीत सिन्हा का आईपीएस कैडर भी बिहार का ही था. रंजीत सिन्हा लंबे समय तक रेलवे सुरक्षा बल यानि आरपीएफ के भी महानिदेशक रहे थे. उल्लेखनीय है कि, कोयला आवंटन घोटाले से रंजीत सिन्हा का नाम जुड़ने के बाद देश में मचे बबाल पर ही सुप्रीम कोर्ट ने हैरतंगेज टिप्पणी की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को "पिंजरे में बंद सरकारी तोता" जैसी तौहीन भरी संज्ञा दे डाली थी.

सीबीआई निदेशक का पद संभाल चुके बिहार कैडर के तीन अधिकारी
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सीबीआई निदेशक पद पर बिहार कैडर के अब तक तीन आईपीएस अधिकारी तैनात किए जा चुके हैं. जिनमें रंजीत सिन्हा, अनिल सिन्हा और एपी सिंह का नाम शामिल है. रंजीत सिन्हा के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी रहे अनिल सिन्हा के नाम की सिफारिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के मुख्य न्यायाधीश एच.एल. दत्तू और लोकसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने की थी. हालांकि, सीबीआई निदेशक रह चुके आईपीएस अधिकारी ए.पी. सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे बाद में झारखंड कैडर में चले गए थे. जब झारखंड बिहार से अलग करके बनाया गया.


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