क्या आपको पता है हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाली 1 लीटर फ्यूल की कीमत?
इंजन के आधार पर यूज़ होता ईंधन
करीब दो महीने बाद ATF यानी जेट ईंधन की कीमतों में 3 फीसदी की कटौती की गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद जेट ईंधन अब 3 फीसदी तक सस्ता हो गया है. एविएशन टर्बाइन फ्युल (ATF) का भाव अब 1,887 रुपये प्रति किलोलीटर तक सस्ता हो गया है. अब एक किलोलीटर जेट ईंधन का भाव 58,374 रुपये पर आ गया है. फरवरी के बाद से लगातार चार बार बढ़ोतरी के बाद पहली बार जेट ईंधन की कीमतों में गिरावट आई है.
इसके पहले 1 फरवरी को जेट ईंधन का भाव 3,246.75 रुपये प्रति किलोलीटर महंगा हुआ था. 16 फरवरी को 3.6 फीसदी और 1 मार्च को 6.5 फीसदी का इजाफा हुआ था. 16 मार्च को एक बार फिर कीमतों में 860.25 रुपये प्रति किलोलीटर तक महंगा हुआ था.
इंजन के आधार पर यूज़ होता ईंधन
भारत में इंडियन ऑयल विमानन सेवा प्रमुख ईंधन कंपनी है जो अंतरराष्ट्रीय और घरेलू विमान कंपनियों को जेट ईंधन की सप्लाई करती है. विमानों में उनके ईंजन के प्रकार आधार पर यह तय होता कि उनमें किस तरह के ईंधन का इस्तेमाल होगा. कॉमर्शियल विमानों और लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन केरोसिन आधारित होते हैं. इसमें पूरी तरह से शुद्ध केरोसिन का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा कुड एडिटिव्स का भी इस्तेमाल होता है. ये एडिटिव्स एंटी ऑक्सिडेंट्स, एंटीफ्रीज़, हाइड्रोकार्बन आदि का इस्तेमाल होता है.
सामान्यतौर पर इन विमानों में दो तरह के ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है. ये ईंधन – जेट ईंधन और एविगैस होते हैं. जेट ईंधन को जेट इंजन को पावर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, एविगैस का इस्तेमाल छोटे टर्बोप्रॉप विमानों में इंजन पिस्टन को ड्राइव करने के लिए किया जाता है. इन पिस्टन ही विमान को उपर उड़ाने में प्रोपेलर्स की मदद करते हैं.
कितने तरह के होते हैं विमान ईंधन?
हमने आपको पहले ही बताया दिया कि विमान में लगे ईंधन के आधार पर तय होता कि उसमें किस तरह का ईंधन इस्तेमाल होगा. अब जानते हैं कि इन ईंधन के बारे में…
जेट ईंधन: यह केरोसिन के आधार पर तैयार होने वाला रंगहीन ईंधन होता है. टर्बाइन इंजन वाले विमानों में इस तरह के ईंधन का इस्तेमाल होता है. जेट ईंधन के भी दो प्रकार हैं. इन्हें जेट ए और जेट ए1 कहा जाता है. इन दोनों तरह के ईंधन के फ्रीज़िंग प्वॉइंट्स, एडिटिव्स के आदि में अंतर होता है.
एविगैस: इसे एविएशन गैसोलिन कहते हैं. इस ईंधन का इस्तेमाल पिस्टन-इंजन वाले छोटे विमानों में होता है. आमतौर पर इस तरह के विमानों का इस्तेमाल फ्लाइंग क्लब, फ्लाइट ट्रेनिंग जेट्स और प्राइवेट पायलटों द्वारा इस्तेमाल होता है. एविगैस इकलौता ऐसा विमान ईंधन है जिसमें टेट्राइथाइल लेड एडिटिव का इस्तेमाल होता है. इससे विमानों के इंजन में किसी भी तरह के विस्फोट होने या इंजन फेल्योर आदि को रोकने में मदद मिलती है. हालांकि, इंसानों के लिए यह केमिकल बेहद ख़तरनाक माना जाता है. इसी केमिकल की मात्रा के आधार पर ही एविगैस के भी दो प्रकार होते हैं.
इन दोनों तरह के विमान ईंधन के अलावा भी कई ऐसे प्रकार के ईंधन होते हैं, जिनका इस्तेमाल विभिन्न परिस्थितियों में किया जाता है. इनका नाम TS-1, Jet B, JP-8 और JP-5 है.
TS-1: रूस समेत कई देशों में इस तरह के ईंधन का इस्तेमाल होता है. इसका फ्रीजिंग पॉइंट -50°C होता है. इस ईंधन का इस्तोमल बेहद ठंडे इलाकों में विमान उड़ाने के लिए किया जाता है.
Jet B: इस तरह के ईंधन में 30 फीसदी केरोसीन और 70 फीसदी गैसोलिन की मात्रा होती है. इस ईंधन का इस्तेमाल कनाडा और अलास्का जैसे बेहद बर्फीले इलाकों में उड़ने वाले विमानों में किया जाता है. इस तरह के ईंधन का फ्रीजिंग पॉइंट -60°C तक होता है.
JP-8: इस ईंधन का इस्तेमाल मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स के लिए होता है. यह एयरक्राफ्ट जेट ए1 की तरह ही होता है. लेकिन, एंटी-आइसिंग और करोजन इनहीबिटर जैसे एडिटिव्स का इस्तेमाल होता है.
JP-5: यह ईंधन कलर में हल्के पीले रंग का होता है और आमतौर पर इसका इस्तेमाल मिलिट्री एयरक्राफ्ट में होता है. यह ईंधन नैप्थीन और एल्केन जैसे हाइड्रोकार्बन का एक कॉम्प्लेक्ट कॉम्बिनेशन होता है.
Airbus A321neo में ईंधन की खपत?
दिल्ली से मुंबई तक की दूरी 1200 किलोमीटर है और एयरबस ए321नियो फ्लाइट इस दूरी को 2 घंटे में तय करती है. अगर यह प्लेन 600 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से भी चलती है तो इसका मतलब है कि एक मिटन में यह 10 किलोमीटर की दूरी तय करती है. एक आंकड़े के मुताबिक, यह प्लेन कुल दूरी तय करने के लिए 5,016 लीटर ईंधन का इस्तेमाल करेगी. इसका मतलब है कि यह प्लेन को दिल्ली से मुंबई जाने के लिए प्रति किलोमीटर में 4.18 लीटर ईंधन का खर्च करेगी. Airbus A321neo में हर सेकेंड 0.683 लीटर ईंधन खर्च होता है. इस प्लेन में कुल ईंधन की क्षमता 32,940 लीटर होती है.
बाईंग 747 ईंधन की खपत
बाईंग 747 हर सेकेंड 4 लीटर ईंधन का इस्तेमाल करती है. प्रति मिनट के हिसाब से देखें तो यह 240 लीटर और प्रति घंटे 14,400 लीटर प्रतिघंटे होती है. टोक्यो से न्यूयॉर्क शहर जाने के लिए बोईंग 747 को करीब 1,87,200 लीटर ईंधन की जरूरत होगी. बोईंग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से पता चलता है कि यह एक जेट इंजन 12 लीटर प्रति किलोमीटर ईंधन खर्च करती है. इसमें 2,38,840 लीटर ईंधन की क्षमता होती है.