खौफनाक कहानी! 24 अगस्त 1984 में हाइजैक हो चुके प्लेन को मजबूरन समुद्र में डुबाने की तैयारी करने लगे थे पायलट, हुआ था ऐसा अंत
आज हम आपको हाइजैकिंग की जो कहानी सुनाने जा रहे हैं
आज हम आपको हाइजैकिंग की जो कहानी सुनाने जा रहे हैं, जल्द ही आप उसे एक फिल्म के जरिए बड़े पर्दे पर देखने वाले हैं. यह कहानी है इंडियन एयरलाइंस के एयरबस A300 की हाइजैकिंग की जिसे 7 हाइजैकर्स ने अगवा कर लिया था. इसे अभी तक भारत की एविएशन इंडस्ट्री में सबसे लंबा हाइजैक एपिसोड माना जाता है. इस घटना पर ही अक्षय कुमार की फिल्म 'बेलबॉटम' रिलीज होने वाली हैं.
24 अगस्त 1984 को हुई हाइजैक
24 अगस्त 1984 को 7 आतंकियों ने फ्लाइट 421 जिसे IC 421 के तौर पर जानते थे, उसे हाइजैक कर लिया था. यह एक डोमेस्टिक फ्लाइट थी जो चंड़ीगढ़ से श्रीनगर के लिए रवाना हुई थी. इस फ्लाइट में 100 यात्री सवार थे. इस फ्लाइट को आतंकी लाहौर और कराची ले गए थे. अंत में इसे दुबई में लैंड कराया गया था. उस समय संयुक्त अरब अमीरात के रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन राशिद अल मख्तूम के हस्तक्षेप के बाद यात्रियों की सुरक्षित रिहाई हो सकी थी. कहा जाता है कि हाईजैकर्स उस समय 'खालिस्तान जिंदाबाद' नारे लगा रहे थे. इस फ्लाइट की हाइजैकिंग पंजाब में जारी आतंकवाद से जुड़ी थी. ये वही दौर था जब खालिस्तानी अलगाववादी यहां पर सक्रिय थे.
आतंकी बोले-प्लेन को अमेरिका ले चलो
घटना से कुछ समय पहले ही फ्लाइट में यात्रियों को नाश्ता सर्व किया गया था. हाइजैकिंग की इस घटना को आज भी सांस रोक देने वाली घटना कहा जाता है. हाइजैकिंग को आतंकियों ने सुबह 7:30 बजे अंजाम दिया था. 36 घंटे तक प्लेन लाहौर, कराची और दुबई के बीच उड़ता रहा था. जो आतंकी इसमें शामिल थे, उनकी उम्र 20 साल के आसपास थी. इस फ्लाइट को उस समय कैप्टन वीके मेहता उड़ा रहे थे. हाइजैकर्स प्लेन को निश्चित तौर पर दुबई में लैंड नहीं कराना चाहते थे. आतंकियों ने पहले कैप्टन से मांग की कि प्लेन को पहले अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का चक्कर लगवाया जाए. दो चक्कर लगाने के बाद प्लेन को लाहौर लेकर चलने के लिए कहा गया. लाहौर एयरपोर्ट पर आतंकियों ने कहा कि उनकी आखिरी मंजिल अमेरिका है.
लाहौर में नहीं मिली लैंडिंग की मंजूरी
लाहौर में पाकिस्तानी अथॉरिटीज ने इसे लैंडिंग की मंजूरी देने से इनकार कर दिया और रनवे को ब्लॉक करने के आदेश दे दिए. इसके बाद 80 मिनट तक फ्लाइट लाहौर के ऊपर चक्कर लगाती रही. आखिर में सुबह 9:50 मिनट पर जब फ्लाइट में फ्यूल कम हो गया तो लाहौर एयरपोर्ट ने इसे लैंड करने की मंजूरी दी. पाकिस्तान जल्द से जल्द इस प्लेन को अपने यहां से उड़ने देना चाहता था. कहते हैं कि हाइजैकर्स ने प्लेन को तो अगवा कर लिया था मगर उनके पास आगे की कोई भी रणनीति नहीं थी. जब उन्हें यह बताया गया कि बोइंग अमेरिका में उड़ान भरने के योग्य नहीं हैं तो आतंकियों ने पाक अधिकारियों को घेर लिया. वो उनसे संभावित जगह के बारे में पूछने लगे.
किसी तरह उतरा प्लेन
दोपहर 3 बजे तक एयरक्राफ्ट को आगे उड़ान भरने की मंजूरी मिली और उसे रनवे पर लाया जा रहा था. उस समय पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त केडी शर्मा थे. उन्होंने तत्कालीन पाक पीएम जनरल जिया-उल-हक को भारत की पीएम इंदिरा गांधी का संदेश दिया था कि फ्लाइट को किसी भी सूरत में लाहौर से निकलने न दिया जाए. मगर इस अनुरोध को नहीं माना गया और फ्लाइट टेक ऑफ कर गई. केडी शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब मैं लाहौर पहुंचा तो उससे पहले ही प्लेन वहां से जा चुका था. पाकिस्तान इस प्लेन में कमांडोज को भेज सकता था. उस समय हाइजैकर्स नर्वस थे और उनके पास ज्यादा हथियार भी नहीं थे. ऐसे में एक कमांडो ऑपरेशन चलाया जा सकता था.
प्लेन के कैप्टन पर तानी रिवॉल्वर
एक हाइजैकर ने क्रू मेंबर से कहा कि वो जल्द से जल्द यहां से निकलना चाहते हैं. शाम 7 बजे एक हाइजैकर ने रिवॉल्वर कैप्टन मेहता की तरफ कर दी और उन्हें प्लेन को टेक ऑफ करने का ऑर्डर दिया. कहा जाता है कि इस रिवॉल्वर की वजह से भी दोनों देशों के बीच काफी राजनयिक तनाव हुआ था. प्लेन में सवार कई यात्रियों और क्रू मेंबर्स ने कहा था कि लाहौर से पहले हाइजैकर्स के पास कोई भी हथियार नहीं था. रिवॉल्वर को देखने के बाद फ्लाइट के कैप्टन और बाकी क्रू मेंबर्स हैरान थे. प्लेन में सवार दो ब्रिटिश नागरिकों ने उस समय कहा था कि पाक अथॉरिटीज ने हाइजैकर्स को कोई पार्सल दिया था और इसी पार्सल में से रिवॉल्वर निकली थी.
दुबई में आई बड़ी मुसीबत
हाइजैकर्स ने कैप्टन से पहले कहा था कि वो प्लेन को बहरीन लेकर चलें लेकिन फ्लाइंग कंडीशन का हवाला देते हुए ऐसा करने से मना कर दिया गया. इसके बाद फ्लाइट को कराची ले जाया गया जहां पर एक घंटे के इंतजार के बाद इसने दुबई के लिए उड़ान भरी थी. यूएई की अथॉरिटीज ने भी एक घंटे तक प्लेन को लैंडिंग की मंजूरी नहीं दी थी. एयरपोर्ट की सारी लाइट्स को स्विच ऑफ कर दिया गया था. एयरपोर्ट लैंडिंग लाइट्स और साथ ही साथ रेडियो बीकन भी ऑफ हो गए थे. कैप्टन लगातार दुबई की अथॉरिटीज से लैंडिंग की गुहार लगाते रहे. उन्होंने कहा, 'अल्लाह के नाम पर उन्हें लैंड करने दें क्योंकि एयरक्राफ्ट में फ्यूल खत्म हो रहा है.' मगर अधिकारी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे.
तो समंदर में होती लैंडिंग
अगले दिन यानी 25 सितंबर 1984 को सुबह 6 बजे एयर होस्टेस रीता सिंह ने यात्रियों से धैर्य रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि हो सकता है लैंडिंग परमीशन न मिलने पर इसे समंदर में डूबाना पड़े. उन्होंने यात्रियों को उन सारी प्रक्रियाओं के बारे में बताया जिसके तहत वो प्लेन के पानी में उतरने के बाद एयरक्राफ्ट से बाहर निकल सकते थे. ये बात और भी दिलचस्प है कि इसे सुनकर भी यात्री बिल्कुल नहीं घबराए. सभी यात्री प्लेन की पहली 15 पंक्तियों में आ गए और अपने जूते उतारने लगे. यहां तक कि उन हाइजैकर्स ने भी आदेशों को माना और यात्रियों की ही तरह बर्ताव किया.
कैप्टन ने कहा-गॉड ब्लेस योर कंट्री
कॉकपिट में कैप्टन मेहता यूएई की अथॉरिटीज से 'प्लीज, प्लीज' कह रहे थे. वो कह रहे थे कि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है. दुबई के समयानुसार सुबह 4:50 मिनट पर मेहता को मंजूरी मिली. कैप्टन मेहता ने उस समय कहा, 'गॉड ब्लेस यू, गॉड ब्लेस योर कंट्री.' 4:55 मिनट पर प्लेन ने लैंडिंग की और जिस समय लैंडिंग हुई उस समय एयरक्राफ्ट में बस 5 मिनट का ही फ्यूल बचा था. यहां पर यूएई की अथॉरिटीज के साथ नई चुनौतियों का सामना करना था. लाहौर और कराची से अलग दुबई में अथॉरिटीज ने सभी तरह की मदद की और यहां तक भारत सरकार की तरफ से भेजे गए एक और एयरक्राफ्ट को मंजूरी दी जो इस पूरे ड्रामे पर नजर रखने के लिए भेजा गया था. यूरोप से यूएई के रक्षा मंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मख्तूम दुबई वापस आए और उन्होंने हाईजैकर्स से वार्ता शुरू की.
हाईजैकर्स से आजाद हुआ प्लेन
सुबह 8 बजे के करीब वो कंट्रोल टॉवर पर पहुंचे. शुरुआती वार्ता एयरक्राफ्ट के कम्युनिकेशन सिस्टम पर हुई. एक सफेद रंग की मर्सिडीज को भेजा गया और इसमें एक हाइजैकर आया. बाकी बचे हाइजैकर्स में से एक प्लेन के बाहर निकलकर रनवे पर टहलने लगा था. एयरक्राफ्ट के लिए खाना और पानी भेजा गया मगर हाइजैकर्स ने इसे वापस कर दिया. दो और हाइजैकर्स कंट्रोल टॉवर में वार्ता के लिए गए.
एयरक्राफ्ट में मौजूद बाकी हाइजैकर्स परेशान हो गए. उन्होंने मैसेज भेजा कि अगर उनके साथियों को अगले 10 मिनट के अंदर नहीं भेजा गया तो फिर वो प्लेन को उड़ा देंगे. हाइजैकर्स कंट्रोल टॉवर से वापस लौटे और बाकी साथियों के साथ सलाह मशविरा करने लगे. दो हाइजैकर्स फिर कंट्रोल टावर में गए और समझौते पर वार्ता करने लगे. सभी पैसेंजर्स और क्रू को एयरक्राफ्ट से निकालकर ट्रांजिट लाउंज में ले जाया गया. हाईजैकर्स को एक सफेद रंग की गाड़ी में किसी अनजान जगह पर ले जाया गया था.
अमेरिका जाने की थी इच्छा
इस बीच दुबई के चीफ ऑफ पुलिस कर्नल दाही खाल्फान तामीम ने मीडिया को बताया कि हाइजैकर्स को हिरासत में लिया गया है और उन्होंने अपने आप ही सरेंडर कर दिया. यूएई अथॉरिटीज ने इस बात की पुष्टि की कि हाइजैकर्स को अमेरिका में राजनीतिक शरण चाहिए थी. दुबई में अमेरिकी दूतावास पर तैनात काउंसल जनरल डेविड स्टॉकवेल एयरपोर्ट पर पहुंचे और उन्होंने स्पष्ट कहा, ' हमारी स्थिति एकदम स्पष्ट है अगर ये अमेरिका आए तो इन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.'
उस समय भारत के विदेश मंत्री एए रहीम कतर के रास्ते दुबई जा रहे थे लेकिन फिर रुक गए. उनका आधिकारिक बयान था, 'हाइजैकर्स का मुख्य मकसद अमेरिका जाना था.' वार्ता के दौरान तो एक बार उन्होंने प्लेन को लंदन ले जाने की बात कही थी. अथॉरिटीज इसकी तैयारी भी करने लगी थीं और इस्तानबुल में प्लेन को रि-फ्यूल करने की तैयारी भी शुरू हो गई थी. मगर एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद इस एपिसोड का अंत हुआ और इसमें किसी को भी कोई नुकसान नहीं हुआ था.