भारत के आम को हथियाने में लगा है चीन, रच रहा है साजिश

गर्मी का मौसम यूं तो कई लोगों को पसंद नहीं है लेकिन बस एक वजह इसे सबसे ज्‍यादा खास बना देती है

Update: 2021-06-05 13:57 GMT

गर्मी का मौसम यूं तो कई लोगों को पसंद नहीं है लेकिन बस एक वजह इसे सबसे ज्‍यादा खास बना देती है. आम जिसे फलों का राजा कहा जाता है, इसी मौसम में आता है. भारत में कई हजार तरह के आम अलग-अलग राज्‍यों की शान बने हुए हैं. भारत में इस समय आम की 1500 किस्‍में हैं और आम की वैरायटीज हर राज्‍य की भी पहचान बन गई हैं. दशहरी से लेकर चौसा और अल्‍फांसो से लेकर लंगड़ा तक देश में हर किसी का फेवरिट है. भारत को आम की जन्‍मस्‍थली माना जाता है लेकिन अब इस पर चीन की भी नजरें हैं. जानिए कैसे चीन अब भारत के आम को हथियाने की साजिश कर रहा है.

20वीं सदी की शुरुआत में पहुंचा आम
भारत में आम का इतिहास कब का है इसकी तारीख बता पाना तो मुश्किल है लेकिन कहते हैं कि कम से कम ये इतिहास 4,000 साल पुराना है. आम भारत से ही निकल कर पूरी दुनिया के बहुत से देशों में फैला है. एशिया के कई देश जैसे नेपाल, बांग्‍लादेश, पाकिस्‍तान, फिलीपींस, मलेशिया, सिंगापुर और कुछ और देश आज भारत का ही आम खा रहे हैं. 14वीं और 15वीं सदी में आम, भारत से बाहर पहुंचा. लेकिन चीन में 20वीं सदी की शुरुआत में आम ने अपने कदम रखे थे.
जब चीन ने जाना आम का स्‍वाद
चीन में आम के पहुंचने की कहानी बहुत ही इंट्रेस्टिंग है. भारत और चीन के बीच सन् 1962 में युद्ध के बाद आम की कहानी शुरू हुई. कहते हैं कि सन् 1968 में तत्‍कालीन पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री सैय्यद शरीफुद्दीन पीरजादा बीजिंग गए थे. गर्मियों के मौसम में उनका दौरा हुआ और उन्‍हें तोहफे के तौर पर आम से ज्‍यादा बेहतर कुछ नहीं लगा. वो अपने साथ आम की 40 पेटियां ले गए थे. चीन के लोग आम के बारे में नहीं जानते थे. माओ ने वो सारे आम उन मजदूर नेताओं को भेज दिए जो उस समय सिन्हुआ विश्वविद्यालय में कब्जा किए बैठे थे.
आम बना माओ के प्‍यार की निशानी
आम मिलने पर उन नेताओं ने तय किया कि क्योंकि यह कॉमरेड माओ से मिला अनमोल उपहार है इसलिए इनमें से एक-एक आम बीजिंग की सभी फैक्ट्रियों में भेज दिया जाए. आम का स्वाद तो हर किसी को नहीं मिल सका लेकिन यह कहानी जरूर पूरे चीन में फैल गई और आम मजदूरों के प्रति माओ के प्रेम का प्रतीक बन गए. एक बार आम जब लोगों के किस्सों और उनकी में आम का जिक्र हुआ तो खेत में भी पहुंच गया.
चीन आया दूसरे नंबर पर
आज चीन के कईं इलाकों में आम की उपज होती है. भारत भले ही आम का सबसे बड़ा उत्पादक देश हो लेकिन दूसरे नंबर पर अब चीन ही है. भारत अभी भी आम का सबसे बड़ा उत्पादक है, गुणवत्ता और साख के मामले में भी भारतीय आम बहुत आगे हैं. लेकिन निर्यात के जो इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स चीन के पास हैं भारत के पास वे नहीं हैं. हालांकि फिलीपींस जैसे देश भी इस बाजार में भारत को मात देने की कोशिश में जुटे रहते हैं. कुछ समय पहले ही फिलीपींस ने घोषणा की थी कि वह आम के स्वाद और उसकी शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग से उसकी नईं किस्में विकसित कर रहा है, इस कोशिश के नतीजे अभी तक सामने नहीं आए हैं.
भारत अब भी सबसे बड़ा उत्‍पादक
खाद्य एवं कृषि संगठन के आंकड़ें बताते हैं कि दुनिया में आम की उपज पांच करोड़ टन से ज्यादा होती है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी दो करोड़ टन से ज्यादा है और चीन की 50 लाख टन के आस-पास है. थाईलैंड, इंडोनेशिया और मैक्सिको इसके बाद आते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि दुनिया में हर दस आम में से चार भारत के होते हैं. 15 साल पहले तक अमेरिका ने भारत से आम के आयात पर पाबंदी लगा दी थी, वजह थी कीटनाशकों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल. लेकिन यह मामला अब सुलझ गया है. भारतीय आमों का सबसे बड़ा बाजार वेस्‍टर्न एशिया है.
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