यहां कुत्ते के 'सम्मान' में सेलिब्रेट किया गया 'नेशनल हॉलिडे', दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी

दुनिया के कई देशों में जानवरों से प्यार और सम्मान के कई अनोखे उदाहरण सामने आते रहते हैं

Update: 2021-04-26 10:40 GMT

दुनिया के कई देशों में जानवरों से प्यार और सम्मान के कई अनोखे उदाहरण सामने आते रहते हैं. इनमें तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) का नाम भी शामिल है, जहां बीते रविवार को अलबाई कुत्ते की नस्ल (Alabai Dog Breed) को समर्पित एक नया राष्ट्रीय अवकाश मनाया गया. इससे पहले भी देश के राष्ट्रपति अलबाई कुत्ते की नस्ल के सम्मान में सोने की मूर्ति बनवा चुके हैं और किताबें भी लिख चुके हैं.

अप्रैल महीने के आखिरी रविवार को ये राष्ट्रीय छुट्टी मनाई गई. इसी दिन 'अखल टेके' नामक घोड़े की नस्ल को समर्पित एक फेस्टिवल भी मनाया गया. मालूम हो कि तुर्कमेनिस्तान घोड़े की इस स्थानीय नस्ल को भी अपनी 'राष्ट्रीय विरासत' का हिस्सा मानता है. 'अलबाई डे' पर कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुक्खामेदोव ने 'बॉर्डर गार्ड सर्विस डॉग' को उसके साहस के लिए शीर्ष सम्मान से सम्मानित किया.
कुत्ते पर लिख चुके हैं किताब
राष्ट्रपति बर्डीमुक्खामेदोव 60 लाख की आबादी वाले इस देश की सत्ता पर 2007 से काबिज हैं. वो अलबाई कुत्ते की नस्ल पर 272 पन्नों की एक किताब भी लिख चुके हैं, जो राष्ट्रपति द्वारा लिखी गईं 50 से अधिक किताबों में से एक है. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि उन्होंने 2017 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक अलबाई पपी गिफ्ट किया था.
राष्ट्रपति के बेटे और उप प्रधानमंत्री सर्दार बर्डीमुक्खामेदोव ने इस पुरस्कार को दिया, जिसमें कुत्ते के लिए एक मेडल और उसके हैंडलर के लिए एक कार शामिल थी. अधिकारियों ने 'अखल टेके' घोड़ों की एक रेस का भी आयोजन किया. बता दें कि देश में घोड़े और कुत्ते राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक माने जाते हैं.

कुत्ते की 50 फीट ऊंची सोने की मूर्ति
इस देश की राजधानी अश्गाबात में अलबाई प्रजाति के कुत्ते की 50 फीट ऊंची मूर्ति भी है, जिसे राष्ट्रपति गुरबांगुली ने नवंबर 2020 में बनवाया था. उन्होंने इसका अनावरण करते हुए बताया था कि यह मूर्ति कांसे की है, जिस पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ी हुई है. खबरों की मानें तो राष्ट्रपति अपनी भी एक सोने की मूर्ति बनवा चुके हैं.

जनता के सामने आर्थिक चुनौतियां
साल 2015 में उन्होंने अपनी एक सोने की मूर्ति बनवाई थी. सोने की इन मूर्तियों के किस्से इस देश की आर्थिक हालत से ठीक विपरीत हैं. यहां की जनता गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना करने को मजबूर है. हालांकि देश तेल और प्राकृतिक गैस जैसे संसाधनों से संपन्न है लेकिन ये सिर्फ अमीरों तक ही सीमित हैं. देश में कई तरह के प्रतिबंध भी हैं जिनमें प्रेस की स्वतंत्रता एक अहम चिंता का विषय है.
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