जरा हटके: साबरकांठा के ईडर में बाल गोपाल बचत बैंक पिछले 14 साल से चल रहा है. इसमें 18 वर्ष से कम उम्र का हर बच्चा खाता खोल सकता है. इस बाल गोपाल बचत बैंक में 16 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा है.
गुजरात के साबरकांठा के ईडर में बाल गोपाल बचत बैंक 2009 से चल रहा है. इस सहकारी बैंक में 18 वर्ष से कम उम्र का हर बच्चा खाता खोल सकता है और हर महीने अपनी बचत खाते में जमा कर सकता है. इस बाल बचत बैंक में यहां बच्चों द्वारा जमा किए गए पैसों पर 6 फीसदी ब्याज भी दिया जाता है. इस बैंक में अब तक 17 हजार से ज्यादा बच्चों ने 16 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा की है.
यह बाल बचत बैंक सहकारी (को-ऑपरेटिव) आधार पर चलाया जाता है, जिसकी स्थापना 2009 में ईडर के पूर्व तालुका पंचायत अध्यक्ष अश्विनभाई पटेल ने की थी. वह आज भी इस बैंक के अध्यक्ष हैं. यह बाल बचत बैंक 14 वर्षों से चल रहा है.
बता दें कि 2009 से अब तक 325 गांवों के 17 हजार से ज्यादा सदस्यों ने इस बचत बैंक में खाता खोला है. इसमें से 5000 से ज्यादा सदस्य (ग्राहक) 18 साल से ज्यादा उम्र के हो गए हैं. बता दें कि इसमें बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए ब्याज सहित पैसा वापस कर दिया गया है. यदि बीच में भी किसी सदस्य को पैसे की जरूरत होती है, तो वे खाते से निकाल सकते हैं.
खाता खोलने वाले सभासद को घर पर एक बॉक्स दिया जाता है जिसमें बच्चे हर महीने बचाए हुए पैसे रखते हैं. हर महीने के एक निश्चित दिन पर बाल बचत बैंक का एक कर्मचारी बच्चों के घर जाता है और एकत्रित धन को इस बक्से में इकट्ठा करता है और सभासद को रसीद भी देता है.
चेयरमैन अश्विनभाई पटेल के मुताबिक, अब हर सदस्य के पास औसतन 1 लाख रुपये से ज्यादा की बचत हुई है. इसमें सबसे ज्यादा बचत केतुल पटेल नाम के सदस्य की है, जिन्होंने इस बैंक में 4 लाख रुपये से ज्यादा की बचत की है. उनको ही ब्याज दर के मामले में अब तक का सबसे ज्यादा फायदा मिला है.
अश्विनभाई पटेल ने बताया कि इस बाल बचत बैंक का मुख्य उद्देश्य बच्चों को कम उम्र से ही बचत की आदत सिखाना और उन्हें नशे की लत से दूर रखना है. यहां बचाए गए पैसे का उपयोग बच्चे उच्च शिक्षा या व्यवसाय स्थापित करने जैसी अन्य गतिविधियों में कर सकते हैं.
बच्चे रुपये कैसे बचाते हैं इसके बारे में अश्विनभाई पटेल ने कहा कि ज्यादातर बच्चों को उनके माता-पिता हर महीने पॉकेट मनी के रूप में कुछ रुपये देते हैं. इसके अलावा घर आने वाले रिश्तेदार भी बच्चों को 10, 20 या 50 रुपये देते हैं. कुछ बच्चे छुट्टियों में छोटे-मोटे काम करके रुपये कमाते हैं. यह सारा पैसा बच्चों के बचत बैंक में जमा कर दिया जाता है.